जिला मुख्यालय ... बड़े साहब की मंथली मीटिंग का दिन -
जिले के समस्त अधिकारी सुबह ९.०० बजे समय पर मीटिंग कक्ष में हाजिर हो गए किन्तु देखते देखते घड़ी की सुई खिसकने लगी, देखते देखते पौने-दस बज गए, साहब नहीं आए ... समय के पक्के बड़े साहब के मीटिंग कक्ष में नहीं आने से माहौल सन्नाटे मय हो गया, सुगबुगाहट होने लगी, क्या बात है, क्या हो गया, क्यों नहीं आ रहे हैं साहब, तरह तरह के सवाल मन में उठने लगे, सारे अधिकारी बड़े साहब के पीए के सामने, क्या हो गया भाई, क्या बात है, साहब आ क्यों नहीं रहे हैं !
पीए ने कहा - बॉस, आज तो सभी संभल के रहो, साहब का मूड ठीक नहीं है, कहीं ऐंसा न हो साहब आते ही भड़क पड़ें, और आप लोगों में से दो-चार विकेट गिर जाएं, आई मीन सस्पेंड हो जाएं ... अरे, क्या बात है भाई जी, साहब का मूड क्यों गरम है ... अब क्या बताएं, सुबह-सुबह ८.०० बजे राजधानी मुख्यालय से मंत्री महोदय का फोन आया था, पहले तो खूब भड़कते रहे, फिर धीरे से एक लाख की कोई बेगारी टिका दिए हैं, अब जानते तो हो आप सब लोग, जहां रुपये-पैसों की बात आती है वहां साहब का बीपी हाई हो जाता है, और बीपी हाई होने का मतलब तो आप सभी समझते ही हैं इसलिए मैंने साहब से निवेदन किया है कि आप बंगले पर ही रहिये, आराम कीजिये जब आराम जैसा महसूस हो तब आ जाना, तब तक मैं स्टेटमेंट बगैरह ... आखिर मुझे आप लोगों की चिंता भी तो सता रही थी !
अच्छा, बहुत अच्छा किया, अब क्या किया जाए ... करना क्या है, जो कुछ करना है वह आप लोगों को मिलकर करना है, लाख रुपये कौन-सी बड़ी रकम है, सब लोग जेब में हाँथ डालकर पांच-पांच निकालोगे तो काम बन जाएगा, आखिर साहब तो आप के ही हैं, एक लिफ़ाफ़े में डालकर जाऊंगा और साहब को खट से मना कर ले आऊँगा, आप सब जानते तो हो ही कि साहब की बीपी कैसे नार्मल होती है ... पीए का बोलना था और दो से तीन मिनट के अन्दर ही रुपये इकट्ठे हो गए ... पीए गया, साहब आए, और डेढ़ से दो घंटे में शांतिपूर्वक मीटिंग संपन्न ... मीटिंग के बाद सभी अधिकारी आपस में चर्चा करते हुए - यार, मीटिंग के दिन कोई न कोई साहब का ब्लडप्रेशर जरुर बढ़ा देता है और अपुन लोग ब्लडप्रेशर की भेंट चढ़ जाते हैं... उफ़ ! बड़े साहब का ब्लडप्रेशर !!
जिले के समस्त अधिकारी सुबह ९.०० बजे समय पर मीटिंग कक्ष में हाजिर हो गए किन्तु देखते देखते घड़ी की सुई खिसकने लगी, देखते देखते पौने-दस बज गए, साहब नहीं आए ... समय के पक्के बड़े साहब के मीटिंग कक्ष में नहीं आने से माहौल सन्नाटे मय हो गया, सुगबुगाहट होने लगी, क्या बात है, क्या हो गया, क्यों नहीं आ रहे हैं साहब, तरह तरह के सवाल मन में उठने लगे, सारे अधिकारी बड़े साहब के पीए के सामने, क्या हो गया भाई, क्या बात है, साहब आ क्यों नहीं रहे हैं !
पीए ने कहा - बॉस, आज तो सभी संभल के रहो, साहब का मूड ठीक नहीं है, कहीं ऐंसा न हो साहब आते ही भड़क पड़ें, और आप लोगों में से दो-चार विकेट गिर जाएं, आई मीन सस्पेंड हो जाएं ... अरे, क्या बात है भाई जी, साहब का मूड क्यों गरम है ... अब क्या बताएं, सुबह-सुबह ८.०० बजे राजधानी मुख्यालय से मंत्री महोदय का फोन आया था, पहले तो खूब भड़कते रहे, फिर धीरे से एक लाख की कोई बेगारी टिका दिए हैं, अब जानते तो हो आप सब लोग, जहां रुपये-पैसों की बात आती है वहां साहब का बीपी हाई हो जाता है, और बीपी हाई होने का मतलब तो आप सभी समझते ही हैं इसलिए मैंने साहब से निवेदन किया है कि आप बंगले पर ही रहिये, आराम कीजिये जब आराम जैसा महसूस हो तब आ जाना, तब तक मैं स्टेटमेंट बगैरह ... आखिर मुझे आप लोगों की चिंता भी तो सता रही थी !
अच्छा, बहुत अच्छा किया, अब क्या किया जाए ... करना क्या है, जो कुछ करना है वह आप लोगों को मिलकर करना है, लाख रुपये कौन-सी बड़ी रकम है, सब लोग जेब में हाँथ डालकर पांच-पांच निकालोगे तो काम बन जाएगा, आखिर साहब तो आप के ही हैं, एक लिफ़ाफ़े में डालकर जाऊंगा और साहब को खट से मना कर ले आऊँगा, आप सब जानते तो हो ही कि साहब की बीपी कैसे नार्मल होती है ... पीए का बोलना था और दो से तीन मिनट के अन्दर ही रुपये इकट्ठे हो गए ... पीए गया, साहब आए, और डेढ़ से दो घंटे में शांतिपूर्वक मीटिंग संपन्न ... मीटिंग के बाद सभी अधिकारी आपस में चर्चा करते हुए - यार, मीटिंग के दिन कोई न कोई साहब का ब्लडप्रेशर जरुर बढ़ा देता है और अपुन लोग ब्लडप्रेशर की भेंट चढ़ जाते हैं... उफ़ ! बड़े साहब का ब्लडप्रेशर !!
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