Monday, October 10, 2011

दाल-रोटी का हिसाब-किताब

हे राम ! ये क्या हो रहा है
सरकार या जनता
दोनों में, न जाने
कौन सो रहा है
उफ़ !
मेरे मुल्क में
ये क्या जुल्म हो रहा है !


जो निकलते नहीं हैं बाहर
कभी, अमीरी रेखा से
वो आज, गरीबी रेखा पे
योजना बना रहे हैं
जिन्होंने
कभी खरीदी नहीं है दाल
वो दाल-रोटी का
हिसाब-किताब लगा रहे हैं !

हे राम ! अब क्या होगा
गरीब रोयेगा
या रोते रोते सो जाएगा
सोयेगा भी
या सोते सोते ही
राम नाम सत्य बोल जाएगा !
क्या कमाल है
मचा धमाल है
गरीब सन्न है
अमीर प्रसन्न है
गरीबों में मचा हा हा कार है
फिर भी सत्ता की जय जयकार है !!

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