उफ़ ! हम अपना मर्ज उन्हीं से छिपाते फिरे
जिनके छूने का असर, दवा से बेहतर निकला !
...
सच ! मसीहा हो चले हैं वो, जो आग में कूदे हुए हैं
जिन्हें परवा हुई, आज की, कल की, साक्षी हुए हैं !
...
ये कैसा वक्त मुक़र्रर हुआ है 'उदय'
शेर, शेर को दाद दे रहा है !
...
कदम लम्बे, सफ़र छोटा हुआ है
मसीहों की किताबों में शिकवे नहीं होते !
...
चाँद-तारों, जमीं-आसमां, में नहीं था
मैं कुछ तो था मगर, कुछ भी नहीं था !
...
कहाँ मर्जी हमारी, कहाँ अपना ठिकाना
जिधर बोलो उधर, बना लें आशियाना !
...
मैं खुद का भी नहीं हूँ, क्यूं मुझसे मेरा पता पूंछते हो
सच ! आज इधर हूँ, तो कल उधर का हो जाऊंगा !!
...
लो पास होते होते, हम फिर से फ़ैल हो गए
अभी मालुम पडा कि - वो गुलामी पसंद हैं !
...
जय हो ! कभी कुछ और थे, आज कुछ और हैं
समय समय की बात है, समय समय के फेर हैं !
...
न कायर, न शायर, न माशूक, न मुहब्बत
सच ! क्यूं न दो घड़ी बैठ के बातें कर लें !!
जिनके छूने का असर, दवा से बेहतर निकला !
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सच ! मसीहा हो चले हैं वो, जो आग में कूदे हुए हैं
जिन्हें परवा हुई, आज की, कल की, साक्षी हुए हैं !
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ये कैसा वक्त मुक़र्रर हुआ है 'उदय'
शेर, शेर को दाद दे रहा है !
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कदम लम्बे, सफ़र छोटा हुआ है
मसीहों की किताबों में शिकवे नहीं होते !
...
चाँद-तारों, जमीं-आसमां, में नहीं था
मैं कुछ तो था मगर, कुछ भी नहीं था !
...
कहाँ मर्जी हमारी, कहाँ अपना ठिकाना
जिधर बोलो उधर, बना लें आशियाना !
...
मैं खुद का भी नहीं हूँ, क्यूं मुझसे मेरा पता पूंछते हो
सच ! आज इधर हूँ, तो कल उधर का हो जाऊंगा !!
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लो पास होते होते, हम फिर से फ़ैल हो गए
अभी मालुम पडा कि - वो गुलामी पसंद हैं !
...
जय हो ! कभी कुछ और थे, आज कुछ और हैं
समय समय की बात है, समय समय के फेर हैं !
...
न कायर, न शायर, न माशूक, न मुहब्बत
सच ! क्यूं न दो घड़ी बैठ के बातें कर लें !!
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सच ! तुम कहते रहे, हम सुनते रहे, यकीन करते रहे
ऐसा क्या कहा हमने, जो सुनते ही, तुम भौंचक हुए हो !
...
हरेक सवाल में जवाब नजर आ रहे हैं 'उदय'
कब तक सुना जाए, कब तक चुप रहा जाए !
...
हम ! शायद, कुछ भी तो नहीं हैं
सिर्फ एक मुसाफिर के सिवा !!
...
क्या लिखूं, क्या नहीं, चहूँ ओर शोर है
झूठ की मंशा है जीत की, यही जोर है !
...
सच ! सारे शहर में चर्चा है कि वो बड़े लेखक हुए हैं
जब पूंछता हूँ, क्या लिखा, सभी खामोश रहते हैं !!
...
चलो जाने भी दो, अब ये बातें पुरानी हुईं
हमें भी आ गया है अब, बातें बनाना !
...
मेरा सच बोलना गुनाह हो जाएगा
प्यार करता हूँ उसे मालुम हो जाएगा !
...
न नर, न नारी, न हिन्दू, न मुसलमां
सदा होता रहा है, ईमान का सौदा !
...
हम जब तक थे, तो सिर्फ तुम्हारे थे
वक्त जो बदला, तो हम हमारे न रहे !
...
गर लोग यूं ही पत्थर समझ, मेरे पास से गुजरते रहे 'उदय'
तो तय है किसी न किसी दिन, मैं भी 'खुदा' हो जाऊंगा !
ऐसा क्या कहा हमने, जो सुनते ही, तुम भौंचक हुए हो !
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हरेक सवाल में जवाब नजर आ रहे हैं 'उदय'
कब तक सुना जाए, कब तक चुप रहा जाए !
...
हम ! शायद, कुछ भी तो नहीं हैं
सिर्फ एक मुसाफिर के सिवा !!
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क्या लिखूं, क्या नहीं, चहूँ ओर शोर है
झूठ की मंशा है जीत की, यही जोर है !
...
सच ! सारे शहर में चर्चा है कि वो बड़े लेखक हुए हैं
जब पूंछता हूँ, क्या लिखा, सभी खामोश रहते हैं !!
...
चलो जाने भी दो, अब ये बातें पुरानी हुईं
हमें भी आ गया है अब, बातें बनाना !
...
मेरा सच बोलना गुनाह हो जाएगा
प्यार करता हूँ उसे मालुम हो जाएगा !
...
न नर, न नारी, न हिन्दू, न मुसलमां
सदा होता रहा है, ईमान का सौदा !
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हम जब तक थे, तो सिर्फ तुम्हारे थे
वक्त जो बदला, तो हम हमारे न रहे !
...
गर लोग यूं ही पत्थर समझ, मेरे पास से गुजरते रहे 'उदय'
तो तय है किसी न किसी दिन, मैं भी 'खुदा' हो जाऊंगा !
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