Saturday, September 17, 2011

गुरु की महिमा

सत्य के पथ पर
चलते चलते
मिलते
कुछ अंधियारे हैं !
सांथ गुरु की कृपा हो
तब
हो जाते उजियारे हैं ...
गुरु की महिमा
गुरु ही जाने
भक्त तो बढ़ते रहते हैं
चलते चलते
बढ़ते बढ़ते
मंजिल में मिल जाते हैं !!

1 comment:

Anonymous said...

गुरु की महिमा मुझे एक बहुत बढ़िया कविता लगी। इस तरह की कविताएँ लिखते रहिये।