Thursday, September 15, 2011

... कहीं-न-कहीं तो ये डगर जाएगी !

भ्रष्टाचारियों को शर्म भी आए, तो भला क्यों आए
बेशर्मी ने ही तो उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है !
...
क्या खूब चाहतें हैं, भले चुप-चाप ही सही
उफ़ ! कोई वेपर्दा है, तो कोई पर्दे में है !!
...
सच ! चलो जाने भी दो, किसी मासूम का दिल है
कभी गुमसुम रहता है, कभी ये हंस भी लेता है !!
...
हाई अलर्ट पे हाई अलर्ट, क्या खूब हाई अलर्ट है
एक के ऊपर एक रखते-रखाते, खूब हाई हुआ है !
...
सच ! अब क्या कहें, हमें होश कहाँ रहता है
लिखते लिखते 'शेर', 'बब्बर शेर' हो जाता है !!
...
अब तो ख्याल भी करता हूँ तो दो-चार मर जाते हैं
सच ! कोई बहुत खुश है, मेरे काम-धंधे से !!
...
सच ! अब कोई इस तरह मुझ पे इल्जाम लगाए
लिखता तो 'मीठा' ही हूँ, लोगों को 'कडुवा' लगे है !
...
अब कोई इन दलालों पे, भला क्यूं तोहमत लगाए
ये जिस्म, ईमान, और अब मुल्क के सौदागर हुए हैं !
...
अब क्या कहें, हम क्या हैं, क्या नहीं हैं
फिलहाल तो फकीरी शान, जिंदाबाद है !! 
... 
शायद कहीं कहने-सुनने, देखने-समझने में चूक हुई होगी
वरना ! आँखों का क्या, सदा ही डब-डबाई होती हैं !!
...
था कुछ अंधेरा वहीं पर, जहां से उजाला था
बुझ गया चिराग, फिर अंधेरा ही अंधेरा था !
...
कच्चे, खट्टे, पिलपिले, अधपके, नादां कलाकार
उफ़ ! कौन जाने, कब, कौन, क्या गुल खिला दे !
...
मेरे मुल्क में, मेरे ही लोग, चोर, खुदगर्ज, भ्रष्ट हुए हैं
सच ! कम से कम अंग्रेज भ्रष्ट तो नहीं थे !!
...
कभी समेटने, तो कभी सहेजने में वक्त गुजर जाता है
'उदय' तुम ही बताओ, किस घड़ी तुम्हें मैं प्रेम करूं !!
...
जब तलक धरती के भीतर, धधकते आग के शोले रहेंगे
सच ! तब तक गांधी, सुभाष, आजाद, जन्म लेते रहेंगे !
...
बात कड़वी जो कही, तीर-सी जा घुस बैठी
बात मीठी, जानें, क्यूं बेअसर हो जाती है !
...
जिन हांथों से करता रहा मैं गुनाह हर घड़ी
आज उन हांथों से, कैसे मैं इबादत कर लूं !
...
'उदय' जाने, किस ओर, कहाँ तक, मेरी नजर जाएगी
पर इतना तो तय है, कहीं--कहीं तो ये डगर जाएगी !
...
भीड़, जुनून, सुकून, थकान, और ये आराम के पल
उफ़ ! जाने कौन था, जो नजर डाले हुए था !!
...
पप्पू बेगुनाह था, पप्पू के पापा बेगुनहगार थे
फिर कौन गुनहगार था, कौन गुनहगार है !

No comments: