Thursday, September 1, 2011

अन्ना टोपी

अभी
इनकी नश-नश में
फितरत में
कूट-कूट के भरी है
आदत
टोपीबाजी की !

शायद, इन्हें
यह कला
गुरु-शिष्य रूपी
परम्परा में
विरासत में मिल रही है !

ये जब भी
ज्वाईन करते हैं
राजनीति -
राजनैतिक पार्टी
तब, इन्हें
पहनाई जाती है, टोपी !

अब, जब
पहन ही ली टोपी
इन्होंने
तो समझ लो
मिल गई इन्हें, कला
विरासत में
टोपीबाजी की !

नहीं
ये बाज नहीं आएंगे
खुद--खुद
टोपीबाजी से
कौन !
अपने नेता
तब तक, जब तक
कोई इन्हें
अन्ना टोपी का
पाठ नहीं पढ़ायेगा !!

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