कल रात बेचैनी थी
नींद खुल गई
बिस्तर पर पड़े पड़े
करवट बदलता रहा
दस से पंद्रह मिनट
फिर उठकर बैठ गया !
थोड़ी देर बाद ही
खिड़की के पास
खडा हो ताजी हवा
के झोंके लेते लेते
नीचे सड़क के पार
नजर जा टिकी !
एक लड़की खडी थी
फ्राक पहने हुए
ठंड में सिकुड़ते हुए
न जाने क्यूं
शायद इंतज़ार में
सवाल ! पर किसके !
अन्दर नजर दौड़ाई
घड़ी पर देखा
सुबह के साढ़े चार
बज रहे थे
फिर मेरी नजर
जा टिकी लड़की पर !
मैं कुछ सोचता
तब तक वहां एक
लड़का आ पहुंचा
दोनों कुछ पल बातें
गुपचुप करते रहे
न जाने क्या !
लडके ने लड़की को
गुलाब फूल दिया
दोनों कुछ बुद-बुदाये
और चले गए, मैंने सोचा
कडकडाती ठण्ड ! क्या है
शायद ! प्रेम कहानी !!!
नींद खुल गई
बिस्तर पर पड़े पड़े
करवट बदलता रहा
दस से पंद्रह मिनट
फिर उठकर बैठ गया !
थोड़ी देर बाद ही
खिड़की के पास
खडा हो ताजी हवा
के झोंके लेते लेते
नीचे सड़क के पार
नजर जा टिकी !
एक लड़की खडी थी
फ्राक पहने हुए
ठंड में सिकुड़ते हुए
न जाने क्यूं
शायद इंतज़ार में
सवाल ! पर किसके !
अन्दर नजर दौड़ाई
घड़ी पर देखा
सुबह के साढ़े चार
बज रहे थे
फिर मेरी नजर
जा टिकी लड़की पर !
मैं कुछ सोचता
तब तक वहां एक
लड़का आ पहुंचा
दोनों कुछ पल बातें
गुपचुप करते रहे
न जाने क्या !
लडके ने लड़की को
गुलाब फूल दिया
दोनों कुछ बुद-बुदाये
और चले गए, मैंने सोचा
कडकडाती ठण्ड ! क्या है
शायद ! प्रेम कहानी !!!
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