Friday, January 28, 2011

कडकडाती ठण्ड : प्रेम कहानी !

कल रात बेचैनी थी
नींद खुल गई
बिस्तर पर पड़े पड़े
करवट बदलता रहा
दस से पंद्रह मिनट
फिर उठकर बैठ गया !

थोड़ी देर बाद ही
खिड़की के पास
खडा हो ताजी हवा
के झोंके लेते लेते
नीचे सड़क के पार
नजर जा टिकी !

एक लड़की खडी थी
फ्राक पहने हुए
ठंड में सिकुड़ते हुए
जाने क्यूं
शायद इंतज़ार में
सवाल ! पर किसके !

अन्दर नजर दौड़ाई
घड़ी पर देखा
सुबह के साढ़े चार
बज रहे थे
फिर मेरी नजर
जा टिकी लड़की पर !

मैं कुछ सोचता
तब तक वहां एक
लड़का पहुंचा
दोनों कुछ पल बातें
गुपचुप करते रहे
जाने क्या !

लडके ने लड़की को
गुलाब फूल दिया
दोनों कुछ बुद-बुदाये
और चले गए, मैंने सोचा
कडकडाती ठण्ड ! क्या है
शायद ! प्रेम कहानी !!!

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