Friday, January 28, 2011

नेता होना गुनाह !

बड़े नेताओं के लिए नारे लगाए
बैनर पोस्टर दीवारों पे चिपकाए
चौक-चौराहों पे नारेबाजी की
धरना, प्रदर्शन, आन्दोलन में
कभी आगे, तो कभी पिछलग्गू बने रहे
माल लाने से, परोसने तक पीछे नहीं हटे !

और तो और, क्या क्या नहीं किया
जूते उठाने से भी कभी पीछे नहीं हटे
अब क्या बताएं कितनी तीन-पांच-तेरह
और पांच-तीन-अठारह की है
तब जाके, ले-दे के, बड़ी मुश्किल से
हम यहाँ तक पहुंचे हैं, ..... अब भला !

थोड़ी
तिकड़मबाजी क्या कर ली
दो-चार गाड़ियां क्या बना ली
बंगला बैंक बैलेंस क्या बना लिया
तो क्या गुनाह कर लिया है
बताओ, बताओ, हाँ तुम ही बताओ
क्या नेता होना गुनाह हो गया है !!!

1 comment:

कविता रावत said...

अब तो नेता होना गुनाह नहीं एक भरपूर गाली लगती हैं ...