Saturday, January 29, 2011

मैं एक लडकी हूं !

मैं जानती हूं
तेरी चाह्त
कि तू बगैर मेरे
जी नही सकता

पर तेरी चाहत
दिल में ज्यादा है
या आंखों में
समझ नहीं पाती

तेरी आंखें चुपके से
जब निहारती हैं
मेरे वक्षों को
तब वक्ष मेरे
खुद - व - खुद
उभर जाते हैं

हां जानती हूं
जब विदा होती हूं
तब तेरी आंखें
कहां होती हैं
तेरी आंखों की मस्ती में
कमर मेरी
न चाह कर भी
हिरणी सी बलख जाती है

हां सब जानती हूं
मैं एक लडकी हूं !

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