मान, ईमान, स्वाभिमान
तो हम कब का बेच चुके हैं !
चलो बेच दें, बढ़ो बेच देंचलो आज कुछ नया बेच दें !
जिस्म-आबरू बेच चुके हैं,
गोली-बारूद भी बेच रहे हैं
बार्डर की भी डील चल रही
कुछ-न-कुछ तो आज बेच दें !
क्या अपना, क्या तुपना देखें
चलो लालकिला और ताज बेच दें !!!
तो हम कब का बेच चुके हैं !
चलो बेच दें, बढ़ो बेच देंचलो आज कुछ नया बेच दें !
जिस्म-आबरू बेच चुके हैं,
गोली-बारूद भी बेच रहे हैं
बार्डर की भी डील चल रही
कुछ-न-कुछ तो आज बेच दें !
क्या अपना, क्या तुपना देखें
चलो लालकिला और ताज बेच दें !!!
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