Saturday, January 29, 2011

यादें ही तो हैं !

हाँ याद है मुझे
शाम छत पर
टहलना तेरा

और घंटों
चिड़ियों
सा
फुदकना तेरा

और राहों पर
आँखों काभटकना तेरा

हाँ याद है मुझे
वो सब याद है !

राहों में मिलना
और गुमसुम सा
गुजर जाना तेरा

कहना
जुबां से कुछ
पर आँखों से
हाँ करना तेरा

हाँ याद है मुझे
सखियों से लड़ना
मेरे लिए
झगड़ पड़ना तेरा

हाँ याद तो है
वो सर्द भरी सुबह
कंपकंपाना तेरा
मेरी ओर दौड़ना
और ठहर जाना तेरा

और हाँ वो पल
बिदाई के भी
याद हैं मुझे
नजरें चुरा कर
बिदा होना तेरा

हाँ याद तो
और भी
बहुत कुछ है
बस यादें
यादें ही तो हैं
तेरे - मेरे बीच !

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