Wednesday, February 9, 2011

होली !

होली आई, आई होली
लेकर आई, खुशियां होली

रंग-गुलाल, छेड-छाड
गली-चौबारे, घर-आंगन
गुजिया-सलोनी, लडडू-पेडे
मौज-मस्ती, हंसी-ठिठौली

बूढे-बच्चे, नौकर-मालिक
साहब-बाबू, गुरु-चेले
महिला-पुरुष, दोस्त-दुश्मन
खेल रहे हैं, मिलकर होली

आन-मान-शान, तिरंगा है पहचान
जात- धर्म, रंग हैं ईमान

तेरा- मेरा, रंगों का है मेला
गोरा- काला, होली है पर्व निराला

होली आई, आई होली
लेकर आई, खुशियां होली

1 comment:

Anonymous said...

होली आई, होली आई ऐसी बहुत सी कवितायेँ सुनी थी मगर ये उनसे बिलकुल ही अलग है। लिखने के लिए धन्यवाद।

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