पुलिस का डंडा कहां है
पुलिस वाले तो निहत्थे खडे हैं
अब कोई डरे, क्यों डरे
निहत्थों से भला कोई डरता है क्या !
पुरानी कहावत है -
जिसकी लाठी उसकी भैंस
जब डंडा नहीं तो काहे की भैंस
मैंने पूछा एक पुलिस वाले से
क्यों भाई आपका डंडा कहां है ?
वह मुस्कुरा कर बोला, साहब जी
डंडा "अलादीन" का "जिन्न" ले गया
तो रगडो "चिराग" को
वह बोला - चिराग बडे लोगों के पास है
उनसे कहो रगडने के लिये
उनसे कहने की जुर्रत किसकी है !!!
अगर कोई कह भी दे
तो उनके हाथ खाली कहां हैं
दोनों हाथों में "कुर्सी"
और पैरों में "चिराग" उल्टा पडा है
उन्हें डंडे की कहां, अपनी कुर्सी की पडी है
मतलब अब निहत्थे ही रहोगे
निहत्थे रहकर
कानून और जनता की रक्षा कैसे करोगे
पुलिस वाला बोला - साहब जी
खेत में खडा "बिजूका" भी तो निहत्था खडा है
सदियों से खेत की रक्षा करता रहा है
हम भी "बिजूका" बन कर रक्षा करेंगे
जो डरेगा उसे डरा देंगे
जो नहीं डरा उसे .......
हमारा क्या होगा
ज्यादा से ज्यादा कोई "भैंसनुमा" मानव
धक्का मार कर गिरा देगा
कानून और जनता की धज्जियां उडा देगा
मतलब अब कानून और जनता की खैर नहीं
नहीं साहब जी
कानून, जनता और पुलिस तीनों की खैर नहीं ।
पुलिस वाले तो निहत्थे खडे हैं
अब कोई डरे, क्यों डरे
निहत्थों से भला कोई डरता है क्या !
पुरानी कहावत है -
जिसकी लाठी उसकी भैंस
जब डंडा नहीं तो काहे की भैंस
मैंने पूछा एक पुलिस वाले से
क्यों भाई आपका डंडा कहां है ?
वह मुस्कुरा कर बोला, साहब जी
डंडा "अलादीन" का "जिन्न" ले गया
तो रगडो "चिराग" को
वह बोला - चिराग बडे लोगों के पास है
उनसे कहो रगडने के लिये
उनसे कहने की जुर्रत किसकी है !!!
अगर कोई कह भी दे
तो उनके हाथ खाली कहां हैं
दोनों हाथों में "कुर्सी"
और पैरों में "चिराग" उल्टा पडा है
उन्हें डंडे की कहां, अपनी कुर्सी की पडी है
मतलब अब निहत्थे ही रहोगे
निहत्थे रहकर
कानून और जनता की रक्षा कैसे करोगे
पुलिस वाला बोला - साहब जी
खेत में खडा "बिजूका" भी तो निहत्था खडा है
सदियों से खेत की रक्षा करता रहा है
हम भी "बिजूका" बन कर रक्षा करेंगे
जो डरेगा उसे डरा देंगे
जो नहीं डरा उसे .......
हमारा क्या होगा
ज्यादा से ज्यादा कोई "भैंसनुमा" मानव
धक्का मार कर गिरा देगा
कानून और जनता की धज्जियां उडा देगा
मतलब अब कानून और जनता की खैर नहीं
नहीं साहब जी
कानून, जनता और पुलिस तीनों की खैर नहीं ।
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