आज के बदले इस युग मे ,
बाजार बनी ये दुनिया है ,
इंसा का ईमान है क्या ,
इंसा ही खरीदे जाते हैँ ,
अस्मिता बनी एक वस्तु है ,
"शो-केस" मे दिख जाती है ,
अस्मिता का कोई मोल नही ,
बस बिकती है - बस बिकती है !!
बाजार बनी ये दुनिया है ,
इंसा का ईमान है क्या ,
इंसा ही खरीदे जाते हैँ ,
अस्मिता बनी एक वस्तु है ,
"शो-केस" मे दिख जाती है ,
अस्मिता का कोई मोल नही ,
बस बिकती है - बस बिकती है !!
1 comment:
कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई
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