मैं थका नहीं हूं, तू हमसफ़र बनने आजा
अंधेरे की घटा लंबी है, मेरे संग दीप जलाने आजा
भटकों को राह दिखाना कठिन है 'उदय'
पर जो भटकने को आतुर हैं, उन्हें राह दिखाने आजा
गर बांट नही सकता खुशियां
तो बिलखतों को चुप कराने आजा
'तिरंगे' में सिमटने को आतुर हैं बहुत
पर तू 'तिरंगे' की शान बढाने आजा
अब जंगल में नहीं, भेडिये बसते हैं शहर में
औरत को नहीं, उसकी 'आबरू' को बचाने आजा
मेरे संग दीप जलाने ..............।
अंधेरे की घटा लंबी है, मेरे संग दीप जलाने आजा
भटकों को राह दिखाना कठिन है 'उदय'
पर जो भटकने को आतुर हैं, उन्हें राह दिखाने आजा
गर बांट नही सकता खुशियां
तो बिलखतों को चुप कराने आजा
'तिरंगे' में सिमटने को आतुर हैं बहुत
पर तू 'तिरंगे' की शान बढाने आजा
अब जंगल में नहीं, भेडिये बसते हैं शहर में
औरत को नहीं, उसकी 'आबरू' को बचाने आजा
मेरे संग दीप जलाने ..............।
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