Thursday, September 22, 2011

सरकारी रोटी

न जाने कब तलक
ये मौन की भाषा चलेगी
सुनेगा कौन, बोलेगा कौन
और कौन होगा
जो
ये फैसला करेगा
कि -
एक रोटी थी, जो
रखी थी, सरकारी मेज पर
मौक़ा मिला
आमने-सामने बैठे, दोनों ने
गुप-चुप तरीके से
दो तुकडे किये
और दोनों ने, एक-एक टुकड़ा
फटा-फट सूत लिया !
अब
दोनों मिलकर, हल्ला कर रहे हैं
और लड़-लड़ पड़ रहे हैं
कि -
किसने खाई रोटी -
कहाँ गायब हुई रोटी !
पहला बोलता है
दूजा सुनता है
दूजा बोलता है
पहला सुनता है
रोटी, रोटी, सरकारी रोटी ...
जनमानस, जनसंसद, मूकबधिर ... !!

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