कभी इधर,
कभी उधर हुए थे,
कुछ सच्चे, कुछ झूठे थे !
कहने को तो,
निष्पक्ष ही थे,
पर,
कुछ तेरे, कुछ उसके थे !
बात आई,
जब मतलब की,
तब, न तेरे, न उसके थे !
पक्ष
विपक्ष
समकक्ष
निष्पक्ष, ये बातें
कुछ मीठी, कुछ तीखी हैं !
जाने भी दो, रहने भी दो
मीडिया ... !!
कभी उधर हुए थे,
कुछ सच्चे, कुछ झूठे थे !
कहने को तो,
निष्पक्ष ही थे,
पर,
कुछ तेरे, कुछ उसके थे !
बात आई,
जब मतलब की,
तब, न तेरे, न उसके थे !
पक्ष
विपक्ष
समकक्ष
निष्पक्ष, ये बातें
कुछ मीठी, कुछ तीखी हैं !
जाने भी दो, रहने भी दो
मीडिया ... !!
No comments:
Post a Comment