Monday, September 19, 2011

... वरना लोग यूं ही, फना न हुए होते !

काश ! हमारे देश का मुखिया गूंगा, बहरा, या मूकबधिर होता
पर जो होता, जैसा होता, हमारे सामने तो होता !!

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कूदने
को कूद जाओ, क्या फरक पड़ता हमें
रंज
मत करना कभी, क्यों हमने रोका नहीं !
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नहीं होता मैं थोड़ा बुरा, तो फिर भला होता कैसे
मेरी सूरत से ज्यादा, कहीं मेरी सीरत भली है !!

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 सच ! जब से आए हैं हम, तेरे पल्लु के साये में
सिर्फ मुजरिम नहीं, 'निगरानीशुदा' भी हुए हैं !
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इस दौर में हदें तो वाकई बहुत पार हुई हैं
कभी तुम से, कभी हम से, हद तो हुई है !
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हर ओर, चंहू ओर, खासम-खासों की खूब चर्चा है 'उदय'
उफ़ ! उनका क्या होगा, जो तल्ख़-तीखे-कंटीले हुए हैं !!
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सच ! चंहू ओर कातिलों की मौज है 'उदय'
हाँथ हथकड़ियों से भी ज्यादा मजबूत हुए हैं !
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हम कौन हैं, कहाँ जा रहे हैं, ये हमको नहीं है खबर
और तुम हो कि - हम से ही हमारा पता पूंछते हो !

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हे 'सांई', इरादे मेरे इतने बुलंद कर दे
कदम चलते रहें, और भीड़ बढ़ती रहे !! 
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दिल, दिलवर, दिलदार, खुश और खुशहाल हो
चंहू ओर, आँगन-आँगन, तेरी - मेरी ईद हो !!

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जिन्होंने खुद को जला-जला कर बस्ती में उजाले किये हैं
उफ़ ! आज उन्हीं पे बस्ती जलाने के इल्जाम थोपे गए हैं !
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खुद से, खुद का, रूठकर बैठ जाना कहाँ मुमकिन
पल दो पल के तराने हैं, खुद-ब-खुद आने-जाने हैं !
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किसी ने खुद को, क्या खूब छिपा कर रक्खा है 'उदय'
होता तो है सामने, पर आँखों से छिपा होता है !
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आज कर ही दो तारीफ़ मेरी, कि ये सारे शेर मेरे हैं
भले चाहे ये निकले हों, तेरी कातिल अदाओं से !!
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हम पहले सही थे, या आज सही हैं
अब इसका फैसला होना है 'उदय' !
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सच ! कहीं कुछ तो हैं, अदाएं कातिलाना
वरना लोग यूं ही, फना न हुए होते !!
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आँख होकर भी जिन्हें, कुछ भी नहीं दिखता यारो
उनकी सीरत में, हमें खोट ही खोट दिखाई देता है !
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सच ! चलो अब तोड़ भी दो, तुम खामोशियाँ अपनी
है 'ईद' का मौक़ा, तुम्हारी न भी, हमें मंजूर होगी !!
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कुछ हैं जो चाहते हैं, देश में बे-वजह झगड़े-फसाद हों
पर हम नहीं चाहते, फूलों की चाह में, कांटे नसीब हों !

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