कभी गुलाब
कभी रात-रानी हूँ मैं
फूल हूँ
फूलों में खुशबू भी हूँ मैं !
कभी मुहब्बत
कभी मुहब्बत की रश्में हूँ मैं
भोर की किरणें
रात की चांदनी हूँ मैं !
कभी धरा
कभी खुला आसमां हूँ मैं
सिर्फ तुलसी नहीं
पीपल की छाँव भी हूँ मैं !
कभी सब
कभी जन्नती शाम हूँ मैं
लम्हें लम्हें में
सुकूं की अमिट रात हूँ मैं !
बिखरी बांहों में
सिमटती आस हूँ मैं
सागर हूँ मैं
समाती नदिया भी हूँ मैं !
जमीं के जर्रे जर्रे
और सारी फिजाओं में हूँ मैं
दिलों की धड़कन हूँ
रगों में बहता लहु भी हूँ मैं !
मैं सुनती हूँ अक्सर
तुम ही तो कहते हो
मैं सारा जहां हूँ
सिर्फ औरत नहीं हूँ मैं !!
कभी रात-रानी हूँ मैं
फूल हूँ
फूलों में खुशबू भी हूँ मैं !
कभी मुहब्बत
कभी मुहब्बत की रश्में हूँ मैं
भोर की किरणें
रात की चांदनी हूँ मैं !
कभी धरा
कभी खुला आसमां हूँ मैं
सिर्फ तुलसी नहीं
पीपल की छाँव भी हूँ मैं !
कभी सब
कभी जन्नती शाम हूँ मैं
लम्हें लम्हें में
सुकूं की अमिट रात हूँ मैं !
बिखरी बांहों में
सिमटती आस हूँ मैं
सागर हूँ मैं
समाती नदिया भी हूँ मैं !
जमीं के जर्रे जर्रे
और सारी फिजाओं में हूँ मैं
दिलों की धड़कन हूँ
रगों में बहता लहु भी हूँ मैं !
मैं सुनती हूँ अक्सर
तुम ही तो कहते हो
मैं सारा जहां हूँ
सिर्फ औरत नहीं हूँ मैं !!
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