सत्य के पथ पर
चलते चलते
मिलते
कुछ अंधियारे हैं !
सांथ गुरु की कृपा हो
तब
हो जाते उजियारे हैं ...
गुरु की महिमा
गुरु ही जाने
भक्त तो बढ़ते रहते हैं
चलते चलते
बढ़ते बढ़ते
मंजिल में मिल जाते हैं !!
चलते चलते
मिलते
कुछ अंधियारे हैं !
सांथ गुरु की कृपा हो
तब
हो जाते उजियारे हैं ...
गुरु की महिमा
गुरु ही जाने
भक्त तो बढ़ते रहते हैं
चलते चलते
बढ़ते बढ़ते
मंजिल में मिल जाते हैं !!
1 comment:
गुरु की महिमा मुझे एक बहुत बढ़िया कविता लगी। इस तरह की कविताएँ लिखते रहिये।
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