Monday, October 10, 2011

राजा बाबू ... विदेश यात्रा की ओर !

चमक-दमक भरी राजा की शान है
भूखा सो रहा आम इंसान है !
भरे पेटों को पकवान परोसे जा रहे हैं
 
आज, जहां चूल्हा नहीं जला है
वहां राजा साहब नजर नहीं आ रहे हैं !
टीवी, कैमरा, फोटो, के लिए
तीर्थस्थलों का खूब दौरा लगा रहे हैं !
जहां आमजन -
मंहगाई से
गरीबी से
ऋण से
रोज दम तोड़ रहे हैं
वहां राजा बाबू नजर नहीं आ रहे हैं !
कितने अच्छे, कितने प्यारे, आँख के तारे हैं
हमारे राजा बाबू !
जिन्हें -
टूटी सड़कें
टूट रही इमारतें
अधूरी योजनाएं
भ्रष्ट अफसर, मंत्री
नजर नहीं आ रहे हैं
जिन्हें आधा-अधूरा, खुल्लम-खुल्ला छोड़कर
कुछ सीखने, कुछ पढ़ने, कुछ सहेजने
विदेश यात्रा पे चले जा रहे हैं
राजा बाबू ... जय हो !
हे राम ! ये क्या हो रहा है !!

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