गाँव का हरेक शख्स उदास बैठा है 'उदय'
हम रुक भी जाते, मगर जाना जरुरी है !
...
वो झूठा तो है लेकिन, बड़ा शातिर खिलाड़ी है
बात ही बात में, मुझे वो अपना बाप कहता है !
...
भीड़ में न सही, पर तन्हाई में सखा था
मैं कुछ तो था मगर, कुछ भी नहीं था !
...
सच ! खुद को देखें, या अब देखें तुझको
मौत के मंजर हैं, क्यूं न संभल के चलें !
...
कभी इसकी, कभी उसकी, जुस्तजू करते रहे हम
मगर जो सामने था, उसी से नजर फेरते रहे हम !
...
न जाने कब तलक झूठे दिलासे काम आएंगे
जो हैं सामने अपने, उन्हें कब दिल से चाहेंगे !
...
सच ! उलटने दो, पलटने दो, भटकने दो
उलझी उलझनों को बैठकर सुलझने दो !
...
यहाँ, हर शख्स का नाम अल्ला रख्खा है
इबादत छोड़ के, हर काम में वो पक्का है !
...
सारे जहां में, शुभ, शुभ, शुभ प्रभात हो
गर बात हो तो सिर्फ तेरी मेरी बात हो !
...
थक, मत, बढ़, चल, बढ़ता, चल
मत, थक, चल, चला, चल, चल !
हम रुक भी जाते, मगर जाना जरुरी है !
...
वो झूठा तो है लेकिन, बड़ा शातिर खिलाड़ी है
बात ही बात में, मुझे वो अपना बाप कहता है !
...
भीड़ में न सही, पर तन्हाई में सखा था
मैं कुछ तो था मगर, कुछ भी नहीं था !
...
सच ! खुद को देखें, या अब देखें तुझको
मौत के मंजर हैं, क्यूं न संभल के चलें !
...
कभी इसकी, कभी उसकी, जुस्तजू करते रहे हम
मगर जो सामने था, उसी से नजर फेरते रहे हम !
...
न जाने कब तलक झूठे दिलासे काम आएंगे
जो हैं सामने अपने, उन्हें कब दिल से चाहेंगे !
...
सच ! उलटने दो, पलटने दो, भटकने दो
उलझी उलझनों को बैठकर सुलझने दो !
...
यहाँ, हर शख्स का नाम अल्ला रख्खा है
इबादत छोड़ के, हर काम में वो पक्का है !
...
सारे जहां में, शुभ, शुभ, शुभ प्रभात हो
गर बात हो तो सिर्फ तेरी मेरी बात हो !
...
थक, मत, बढ़, चल, बढ़ता, चल
मत, थक, चल, चला, चल, चल !
...
उफ़ ! एक अर्थशास्त्री को दूसरा निपटा रहा है
प्रधानमंत्री बनने के लिए रास्ता बना रहा है !
...
पर्दा उठा, पर्दा गिर गया, फिर भी खेल जारी है
राजा, कनिमोझी के बाद, चिदंबरम की बारी है !
...
दफ्न कर के भी, कोई खुश नहीं है 'उदय'
कब्र पे फूल चढ़ा चढ़ा के, मुस्कुरा रहा है !
...
सिद्दत से हमें चाह थी, कोई मुरीद हो मेरा
कोई मिल गया है आज, सपना हुआ पूरा !
...
किसी ने ख़त मेरे नाम लिख के रख छोड़े थे
आँख नम हुईं, वो सांथी अब दूजे जहां में है !
...
वक्त के हांथों कोई मजबूर हो गया
लड़ते लड़ते ज़रा कमजोर हो गया !
...
कौर चबा पाना भी अब मुश्किल हुआ है
उफ़ ! ठूंस-ठूंस के जो मुंह भर लिया है !
...
वो पागल था मगर इतना नहीं था
उफ़ ! किसी की चाहत का असर था !
...
अच्छे-खासे लोगों की दुनिया है 'उदय'
फिर भी एक बेईमान, दूजे की शान है !
...
सच ! मुश्किल घड़ी में भी, हम खुद को आजमा रहे हैं
जिधर से उड़ रही है आंधी, उधर को चले जा रहे हैं !!
प्रधानमंत्री बनने के लिए रास्ता बना रहा है !
...
पर्दा उठा, पर्दा गिर गया, फिर भी खेल जारी है
राजा, कनिमोझी के बाद, चिदंबरम की बारी है !
...
दफ्न कर के भी, कोई खुश नहीं है 'उदय'
कब्र पे फूल चढ़ा चढ़ा के, मुस्कुरा रहा है !
...
सिद्दत से हमें चाह थी, कोई मुरीद हो मेरा
कोई मिल गया है आज, सपना हुआ पूरा !
...
किसी ने ख़त मेरे नाम लिख के रख छोड़े थे
आँख नम हुईं, वो सांथी अब दूजे जहां में है !
...
वक्त के हांथों कोई मजबूर हो गया
लड़ते लड़ते ज़रा कमजोर हो गया !
...
कौर चबा पाना भी अब मुश्किल हुआ है
उफ़ ! ठूंस-ठूंस के जो मुंह भर लिया है !
...
वो पागल था मगर इतना नहीं था
उफ़ ! किसी की चाहत का असर था !
...
अच्छे-खासे लोगों की दुनिया है 'उदय'
फिर भी एक बेईमान, दूजे की शान है !
...
सच ! मुश्किल घड़ी में भी, हम खुद को आजमा रहे हैं
जिधर से उड़ रही है आंधी, उधर को चले जा रहे हैं !!
No comments:
Post a Comment