Wednesday, October 19, 2011

... कुछ भी तो नहीं हूँ !

मेरा कद उतना ऊंचा हो, कि तुझे गले लगा सकूं
वरना ! आसमानी ऊँचाई का, मैं करूंगा क्या !!
...
सटका हुआ दिमाग है, कुछ तो कहना चाहता है
रंज कर भी लें मगर, आसमान छूना चाहता है !
...
सोचने में हर्ज क्या है, जब देश में जनतंत्र है
जब नहीं होगा, तब कुछ और सोचेंगे हम !!
...
दिया, लिया, दिया, दिया, लिया, दिया, दिया
उधार, उधार, उधार, उधार, उधार, उधार !!!
...
जब से, मुल्क में चोरों की बादशाहत हुई है
सच ! सुनते हैं अंधेरों से रौशनी गुम हुई है !
...
अगर होता तो, मैं 'खुदा' होता
नहीं हूँ तो, कुछ भी तो नहीं हूँ !
...
जाने कब, अब ये सिलसिला थम पायेगा
हर हांथों में हैं मशालें, इंकलाब तो आयेगा !
...
मुश्किल घड़ी में, आज हमें खुदी को आजमाना है
कहीं ऐंसा हो, पाक इबादत में खलल पड़ जाए !
...
ये हमारी उस्तादी की तौहीन होगी 'उदय'
गर किसी और की शान में कसीदे पढ़ दें !
...
बड़ी मुश्किल से कल खुद को घाटे से बचाया था
आज फिर एक दोस्त व्यापारी बन के आया है !
...
'रब' जाने, कौन, किस पर, कब फ़िदा हो जाए
मिट्टी के खिलौने भी, किसी के काम आते हैं !
...
पता नहीं आज कौन भूखा रहा, नाम मेरे
न वो जता पाए, और न हम समझ पाए !
...
सच ! हमने तो, कुछ कहा ही नहीं था उनसे
'रब' जाने, अब खामोशी का सबब क्या होगा !
...
आज की रात, समंदर सी चल रही है 'उदय'
कहीं ठहरी, तो कहीं बहुत हल-चल है !
...
सच ! अगर वो कह भी देते कि बहुत जल्दी है
ऐंसा मुमकिन तो नहीं था कि हम पकड़ लेते !
...
सच ! मुझे उनके कद की खबर तो नहीं है 'उदय'
पर इतना तो तय है कि कोई मेरे कद का नहीं है !
...
कह देते, ठहर जाओ कुछ घड़ी को तुम
क्यूं न, दो चार कदम और चल लें हम !
...
न रंज, न गम, न इबादत की बातें हों
मौत का कारवां है, सिर्फ मेरी बातें हों !
...
मर्जी थी उनकी, गुड नाईट कह दिया
कम से कम, जवाब तो सुनते जाते !!
...
हर एक जिंदगी की अपनी अपनी कहानी है
किसी की मीठी, किसी की कड़वी ज़ुबानी है !

No comments: