Monday, October 10, 2011

युवा लेखन ... और गहमा-गहमी !

कल एक चेले के चेले
शायद उसके भी चेले के चेले ने कहा -
भाई साहब
आपका लेखन खूब "धूम" मचा रहा है
किन्तु -
आपके लेखन की "तारीफ़" की जाए या नहीं
अभी इस पर विचार - मंथन चल रहा है
वैसे आप अपना उत्साह
मेरी बातें सुन, मत बढ़ा लेना
बहुतों पर ...
पहले भी विचार - मंथन चला है
चलते रहा है
पर ...
साहित्यिक ज्यूरी की राय -
एक नहीं बन पाई थी, नहीं बन पाई है
कल की ही सुनो -
तुम्हारे नाम पर
जबरदस्त गहमा-गहमी हुई थी
कुछ तो सहमत थे
पर कुछ उखड़े उखड़े हुए थे
जो उखड़े थे, उनका कहना था
कि -
कल का छोकरा है, ब्लॉग ही तो लिख रहा है
कैंसे, उसकी 'तारीफ़' में कसीदे पढ़ दें
अभी तो किसी की सुनता नहीं है
पता नहीं, कल क्या से क्या करेगा
कहीं ऐंसा न हो
लोग हमारे गुण गाना छोड़
उफ़ ! उसके गुण गाने लग जाएं !
कल, बहुत ही गहमा-गहमी हो चुकी है
इसलिए -
कह रहा हूँ, लिखते रहो जनाब -
खूब लिख रहे हो
सिर्फ हम ही नहीं ले रहे हैं मजा
ज्यूरी के सारे सदस्य भी
चोरी-चोरी, चुपके-चुपके, खूब ले रहे हैं मजा
आज, नहीं तो कल, तुम्हारी भी बारी आयेगी
लेखन के सांथ सांथ -
सच ! तुम्हारी भी जय जयकार हो जायेगी !!

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