Wednesday, October 12, 2011

जगजीत सिंह ... एक लम्बे सफ़र के लिए !

मुसाफिर था, तेरी गलियों में,
घड़ी-दो-घड़ी के लिए
अब चल पडा हूँ, एक लम्बे सफ़र के लिए !

तेरी यादों में, रहेगा अब बसर मेरा
सदा सदा के लिए !

गुनगुनाते फिरा, सदा सदा
मैं गीत तेरे लिए
अब चल पडा हूँ, एक लम्बे सफ़र के लिए !

याद आऊँ, तो तुम
गुनगुना लेना
गीत बन गया हूँ, अब मैं तुम्हारे लिए !

सदा सदा के लिए
अब चल पडा हूँ, एक लम्बे सफ़र के लिए !!

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