तेरे नैन-नक्स किसी मल्लिका से कम नहीं है
उफ़ ! फिर भी तू है कि उदास बैठी है !!
...
वो इस कदर लोट-पोट हुए हैं मुहब्बत में
न घर का पता है, न खुद का ठिकाना है !
...
क्या खूब दास्ताँ है, क्या खूब आरजू है
बात सुन ली तेरी, तो चल पडी है मेरी !
...
चलो अच्छा हुआ, वादे किये नहीं हमने
अगर वो टूट जाते तो, हम रूठे हुए होते !
...
सच ! न तो मैं सर हूँ, और न ही सरकार हूँ
लोग कहते हैं मुझे, भोला-भाला इंसान हूँ !
...
ख़्वाबों, ख्यालों, धड़कनों में बसर था मेरा
नहीं था तो मगर, उसके होंठों पे नहीं था !
...
हमें खबर कहाँ थी, कि वो हमें चाहते हैं
बे-वजह ही हम उसकी सहेली पे फ़िदा थे !
...
मंहगाई बढाने के अलावा, नहीं कोई विकल्प था
कालाधन बटोरने का, एक छोटा-सा संकल्प था !
...
सच ! बहुत जल्द ही सौ का सिक्का, धूम मचाएगा
कल जो मिलता था चवन्नी में, अब सौ में आयेगा !
...
हम तो सौदागिरी के हुनर को सलाम करते हैं 'उदय'
लोग कभी मुल्क का, तो कभी खुद का सौदा किये हैं !
उफ़ ! फिर भी तू है कि उदास बैठी है !!
...
वो इस कदर लोट-पोट हुए हैं मुहब्बत में
न घर का पता है, न खुद का ठिकाना है !
...
क्या खूब दास्ताँ है, क्या खूब आरजू है
बात सुन ली तेरी, तो चल पडी है मेरी !
...
चलो अच्छा हुआ, वादे किये नहीं हमने
अगर वो टूट जाते तो, हम रूठे हुए होते !
...
सच ! न तो मैं सर हूँ, और न ही सरकार हूँ
लोग कहते हैं मुझे, भोला-भाला इंसान हूँ !
...
ख़्वाबों, ख्यालों, धड़कनों में बसर था मेरा
नहीं था तो मगर, उसके होंठों पे नहीं था !
...
हमें खबर कहाँ थी, कि वो हमें चाहते हैं
बे-वजह ही हम उसकी सहेली पे फ़िदा थे !
...
मंहगाई बढाने के अलावा, नहीं कोई विकल्प था
कालाधन बटोरने का, एक छोटा-सा संकल्प था !
...
सच ! बहुत जल्द ही सौ का सिक्का, धूम मचाएगा
कल जो मिलता था चवन्नी में, अब सौ में आयेगा !
...
हम तो सौदागिरी के हुनर को सलाम करते हैं 'उदय'
लोग कभी मुल्क का, तो कभी खुद का सौदा किये हैं !
...
घोषित लोकशाही, अघोषित तौर पे राजशाही है 'उदय'
कभी विरासत, तो कभी वसीयत की जय जयकार है !
...
न जाने क्यूं, मुल्क मेरा सौदे की मंडी हुई है
चप्पे-चप्पे पे, खुदी का सौदा कर रहे हैं लोग !
...
सर्द फिजाओं में भी, सहमे सहमे से क्यूं हो 'उदय'
मौके की नजाकत देख के, तनिक सिमट के चलो !
...
जिन्हें उठा लेना था अब तक बंदूकें हांथों में
न जाने क्या हुआ उनको, जो सहमे हुए हैं !
...
उम्मीदों भरे जिस्म, नाउम्मीदी में सुलग रहे थे
यार तो बैठा था सामने, मगर खामोश बैठा था !
...
मरते मरते जज्बात, जी पड़े हैं 'उदय'
खबर है कि उधर, वो भी बेचैन हुए हैं !
...
चवन्नी से जियादा औकात नहीं थी जिनकी
आज क्या खूब सियासत चल रही है उनकी !
...
सूखी रोटी चबा-चबा के, चटनी चांट लेते हैं
उफ़ ! गरीबी में, यही हमारे माल-पुआ हैं !!
...
खानदानी सूरमाओं को कोई समझाओ यारो
बे-वजह झूठी शान बघारी में रक्खा क्या है !
...
आज मेरे मुल्क को एक नई इंकलाबी चाहिए
बस तेरे मेरे जेहन में, जज्बे तूफानी चाहिए !
कभी विरासत, तो कभी वसीयत की जय जयकार है !
...
न जाने क्यूं, मुल्क मेरा सौदे की मंडी हुई है
चप्पे-चप्पे पे, खुदी का सौदा कर रहे हैं लोग !
...
सर्द फिजाओं में भी, सहमे सहमे से क्यूं हो 'उदय'
मौके की नजाकत देख के, तनिक सिमट के चलो !
...
जिन्हें उठा लेना था अब तक बंदूकें हांथों में
न जाने क्या हुआ उनको, जो सहमे हुए हैं !
...
उम्मीदों भरे जिस्म, नाउम्मीदी में सुलग रहे थे
यार तो बैठा था सामने, मगर खामोश बैठा था !
...
मरते मरते जज्बात, जी पड़े हैं 'उदय'
खबर है कि उधर, वो भी बेचैन हुए हैं !
...
चवन्नी से जियादा औकात नहीं थी जिनकी
आज क्या खूब सियासत चल रही है उनकी !
...
सूखी रोटी चबा-चबा के, चटनी चांट लेते हैं
उफ़ ! गरीबी में, यही हमारे माल-पुआ हैं !!
...
खानदानी सूरमाओं को कोई समझाओ यारो
बे-वजह झूठी शान बघारी में रक्खा क्या है !
...
आज मेरे मुल्क को एक नई इंकलाबी चाहिए
बस तेरे मेरे जेहन में, जज्बे तूफानी चाहिए !
No comments:
Post a Comment