भईय्या, मैं रावण नहीं मारूंगा, कोई कुछ भी कहे, कहता रहे, मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता ... अरे, क्या हो गया, क्यूं ऐंसा बड़बड़ा रहा है, क्या वजह है साफ़ साफ़ बता ... भईय्या, अब आप से क्या छिपाऊँ, जब आज तक कोई बात छिपाई नहीं तो फिर आज कैंसे छिपा दूं ... हाँ, बता क्या बात है ... भईय्या, मैं पिछले कुछ दिनों से बहुत परेशान चल रहा था मुझे एक लड़की से प्यार हो गया है किन्तु डर के कारण मैं उसे कह नहीं पा रहा था, कल रात मेरे एक दोस्त की बर्थ-डे पार्टी थी मैं भी गया था वहीं पर हम दोनों दोस्त बीयर पी रहे थे बीयर पीते पीते मैं उस लड़की की याद में तनिक मायूस सा हो गया था तब मेरे दोस्त ने मुझे कहा - एक बीयर और पी ले सब टेंशन दूर हो जाएगा किन्तु मैंने नहीं पी ... बहुत बढ़िया बेटा, एक से ज्यादा बीयर कभी पीना भी नहीं चाहिए, तू समझदार बच्चा है !
... लेकिन भईय्या आगे तो सुनो, थोड़ी देर बाद एक "काली छाया" सी आकर मेरे सामने खड़ी हो गई और कहने लगी कि - तू क्यूं परेशान है राजेश ... मैं सहम सा गया, सोचने लगा कि यह क्या मुसीबत है, कहीं ज्यादा नशा तो नहीं हो गया ... वह फिर बोली - डर मत, मैं रावण के वंशस का हूँ और मैं अमर हूँ, पास से गुजर रहा था तुम्हारा दुःख देखा नहीं गया इसलिए तुम्हारे पास आ गया हूँ अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकता हूँ ... मैंने कहा - क्या ... जो तुम बोलो ... अच्छा, मुझे हिम्मत दो कि मैं जिससे प्यार करता हूँ उसे प्यार का इजहार कर दूं ... लगाओ फोन - बोल दो, डरो मत, मैं हूँ, लगाओ लगाओ ... मैंने फोन लगा कर - आई लव यू कह दिया, सामने से लड़की भी नाराज नहीं हुई किन्तु उसने जवाब नहीं दिया, मैं खुश हुआ, बहुत खुश हुआ !
... फिर मैंने उसे बैठने को कहा ... वह बैठ गया और बोला - दो बीयर बुलवाओ इंजॉय करेंगे ... फिर जैसा जैसा वह बोलता गया मैं करता गया, कितनी पी, कितना मुर्गा खाया, और कौन मुझे घर छोड़ गया, मुझे याद नहीं है, पर मेरी एक सबसे बड़ी समस्या का समाधान निकल गया, मैंने कल उसको आई लव यू बोल ही दिया, अब आप ही बताओ भईय्या कैसे मैं रावण को मारने जा सकता हूँ ... तू सरक गया है, ये क्या फिजूल की बकवास कर रहा है, तुझे तो तेरा दोस्त अनिल घर छोड़ के गया था पर तूने बहुत पी रखी थी, आज के बाद यह सब बर्दास्त नहीं होगा, और रही दूसरी बात - आई लव यू, देख कहीं तुझे लेने के देने न पड़ जाएं ... कुछ समझा नहीं भईय्या आपका मतलब ... अरे यार तूने नशे की हालत में आई लव यू बोल दिया है कहीं लड़की पुलिस-वुलिस में कम्पलेंट न कर दे या घर में शिकायत न कर दे ... बात तो सही कह रहे हो भईय्या, पर कल रात उस "काली छाया" की मेहरवानी से मेरा एक टेंशन तो मिट गया, अब देखेंगे जो होगा ... पर मैं तो आज रावण को मारने नहीं जाने वाला, आखिर उसके वंशज की मदद से अपुन का टेंशन दूर हुआ है ... ठीक है जैसी तेरी मर्जी !
... भाई के कमरे से बाहर जाते ही "काली छाया" फिर से प्रगट हो गई, देख कर राजेश सन्न हो गया ... वह बोली - डरो मत, कल रात से अपुन दोनों दोस्त हो गए हैं, जल्दी तैयार हो जाओ, आज अपुन मौज-मस्ती करने जंगल चलते हैं घर पर अनिल इंतज़ार कर रहा होगा, और हाँ तुम्हारी प्रेमिका का भी तुमको फोन आने वाला है ... ऐंसा है क्या ! तब तो लो फटा-फट तैयार हो जाते हैं ... और राजेश पंद्रह मिनट में ही नहा-धोकर तैयार हो गया ... और चाय पीते पीते प्रेमिका का फोन भी आ गया तथा उससे बातें कर राजेश प्रसन्न हो गया ... फिर क्या था, राजेश को लगा कि -उसकी निकल पडी है कोई "अद्भुत शक्ति" से दोस्ती हो गई है जो हर पल, हर घड़ी मदद में है और अब मौजे ही मौजे ... भाई के लाख समझाने पर भी राजेश नहीं माना और रावण दहन के कार्यक्रम का पूर्णरूपेण त्याग करते हुए मित्र अनिल के सांथ जंगल की सैर पर निकल गया ...
क्रमश : ... कहानी जारी है ... पार्ट - २ ... ब्रेक के बाद ...
... लेकिन भईय्या आगे तो सुनो, थोड़ी देर बाद एक "काली छाया" सी आकर मेरे सामने खड़ी हो गई और कहने लगी कि - तू क्यूं परेशान है राजेश ... मैं सहम सा गया, सोचने लगा कि यह क्या मुसीबत है, कहीं ज्यादा नशा तो नहीं हो गया ... वह फिर बोली - डर मत, मैं रावण के वंशस का हूँ और मैं अमर हूँ, पास से गुजर रहा था तुम्हारा दुःख देखा नहीं गया इसलिए तुम्हारे पास आ गया हूँ अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकता हूँ ... मैंने कहा - क्या ... जो तुम बोलो ... अच्छा, मुझे हिम्मत दो कि मैं जिससे प्यार करता हूँ उसे प्यार का इजहार कर दूं ... लगाओ फोन - बोल दो, डरो मत, मैं हूँ, लगाओ लगाओ ... मैंने फोन लगा कर - आई लव यू कह दिया, सामने से लड़की भी नाराज नहीं हुई किन्तु उसने जवाब नहीं दिया, मैं खुश हुआ, बहुत खुश हुआ !
... फिर मैंने उसे बैठने को कहा ... वह बैठ गया और बोला - दो बीयर बुलवाओ इंजॉय करेंगे ... फिर जैसा जैसा वह बोलता गया मैं करता गया, कितनी पी, कितना मुर्गा खाया, और कौन मुझे घर छोड़ गया, मुझे याद नहीं है, पर मेरी एक सबसे बड़ी समस्या का समाधान निकल गया, मैंने कल उसको आई लव यू बोल ही दिया, अब आप ही बताओ भईय्या कैसे मैं रावण को मारने जा सकता हूँ ... तू सरक गया है, ये क्या फिजूल की बकवास कर रहा है, तुझे तो तेरा दोस्त अनिल घर छोड़ के गया था पर तूने बहुत पी रखी थी, आज के बाद यह सब बर्दास्त नहीं होगा, और रही दूसरी बात - आई लव यू, देख कहीं तुझे लेने के देने न पड़ जाएं ... कुछ समझा नहीं भईय्या आपका मतलब ... अरे यार तूने नशे की हालत में आई लव यू बोल दिया है कहीं लड़की पुलिस-वुलिस में कम्पलेंट न कर दे या घर में शिकायत न कर दे ... बात तो सही कह रहे हो भईय्या, पर कल रात उस "काली छाया" की मेहरवानी से मेरा एक टेंशन तो मिट गया, अब देखेंगे जो होगा ... पर मैं तो आज रावण को मारने नहीं जाने वाला, आखिर उसके वंशज की मदद से अपुन का टेंशन दूर हुआ है ... ठीक है जैसी तेरी मर्जी !
... भाई के कमरे से बाहर जाते ही "काली छाया" फिर से प्रगट हो गई, देख कर राजेश सन्न हो गया ... वह बोली - डरो मत, कल रात से अपुन दोनों दोस्त हो गए हैं, जल्दी तैयार हो जाओ, आज अपुन मौज-मस्ती करने जंगल चलते हैं घर पर अनिल इंतज़ार कर रहा होगा, और हाँ तुम्हारी प्रेमिका का भी तुमको फोन आने वाला है ... ऐंसा है क्या ! तब तो लो फटा-फट तैयार हो जाते हैं ... और राजेश पंद्रह मिनट में ही नहा-धोकर तैयार हो गया ... और चाय पीते पीते प्रेमिका का फोन भी आ गया तथा उससे बातें कर राजेश प्रसन्न हो गया ... फिर क्या था, राजेश को लगा कि -उसकी निकल पडी है कोई "अद्भुत शक्ति" से दोस्ती हो गई है जो हर पल, हर घड़ी मदद में है और अब मौजे ही मौजे ... भाई के लाख समझाने पर भी राजेश नहीं माना और रावण दहन के कार्यक्रम का पूर्णरूपेण त्याग करते हुए मित्र अनिल के सांथ जंगल की सैर पर निकल गया ...
क्रमश : ... कहानी जारी है ... पार्ट - २ ... ब्रेक के बाद ...
No comments:
Post a Comment