कल की तरह
आज भी
मैं
इंतज़ार करता रहा
तुम्हारा
तुम, ना जाने, क्यों,
भूल गए
किये वादे को
या फिर तुम, कहीं
किसी, उलझन में तो नहीं हो !
तुम्हारे, वादे भूलने से
या तुम्हारे ना आने से
उतना दुखी नहीं हूँ
जितना यह सोचकर
चिंतित हूँ कि
कहीं तुम, किसी
गंभीर समस्या
या किसी गंभीर उलझन में तो नहीं हो !!
आज भी
मैं
इंतज़ार करता रहा
तुम्हारा
तुम, ना जाने, क्यों,
भूल गए
किये वादे को
या फिर तुम, कहीं
किसी, उलझन में तो नहीं हो !
तुम्हारे, वादे भूलने से
या तुम्हारे ना आने से
उतना दुखी नहीं हूँ
जितना यह सोचकर
चिंतित हूँ कि
कहीं तुम, किसी
गंभीर समस्या
या किसी गंभीर उलझन में तो नहीं हो !!
1 comment:
कविता का प्रवाह सुन्दर है लिखते रहिये,पढ़ते रहिये
Post a Comment