इस तरह मुँह फेर कर जाना तेरा
देखना एक दिन तुझे तडफायेगा ।
.....
वो बन गये थे रहनुमा, मुफ्त में खिलौने बाँटकर
खिलौने जान ले-लेंगें, ये सोचा नहीं था ।
.....
ताउम्र समेटते रहे दौलती पत्थर
मौत आई तो मिटटी ही काम आई ।
.....
ये सच है तूने आँखों में समुन्दर को बसा रख्खा है
कितना गहरा है, ये तो डूबकर ही बता पायेंगे ।
.....
कुछ इस तरह अंदाजे बयाँ है तेरा
जिधर देखूँ, बस तू ही तू आता है नजर।
.....
फूल कश्ती बन गये, आज तो मझधार में
जान मेरी बच गई, माँ तेरी दुआओं से।
.....
अगर हम चाहते तो, बन परिंदे आसमाँ में उड गये होते
जमीं की सौंधी खुशबू और तेरी चाहतों ने, हमें उडने नहीं दिया।
.....
खंदराओं में भटकने से , खुली जमीं का आसमाँ बेहतर
वहाँ होता सुकूं तो, हम भी आतंकी बन गये होते।
.....
क्यों शर्म से उठती नहीं, पलकें तुम्हारी राह पर
फिर क्यों राह तकते हो, गुजर जाने के बाद।
.....
कौन जाने, कब तलक, वो भटकता ही फिरे
आओ उसे हम ही बता दें ‘रास्ता-ए-मंजिलें’ ।
देखना एक दिन तुझे तडफायेगा ।
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वो बन गये थे रहनुमा, मुफ्त में खिलौने बाँटकर
खिलौने जान ले-लेंगें, ये सोचा नहीं था ।
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ताउम्र समेटते रहे दौलती पत्थर
मौत आई तो मिटटी ही काम आई ।
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ये सच है तूने आँखों में समुन्दर को बसा रख्खा है
कितना गहरा है, ये तो डूबकर ही बता पायेंगे ।
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कुछ इस तरह अंदाजे बयाँ है तेरा
जिधर देखूँ, बस तू ही तू आता है नजर।
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फूल कश्ती बन गये, आज तो मझधार में
जान मेरी बच गई, माँ तेरी दुआओं से।
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अगर हम चाहते तो, बन परिंदे आसमाँ में उड गये होते
जमीं की सौंधी खुशबू और तेरी चाहतों ने, हमें उडने नहीं दिया।
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खंदराओं में भटकने से , खुली जमीं का आसमाँ बेहतर
वहाँ होता सुकूं तो, हम भी आतंकी बन गये होते।
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क्यों शर्म से उठती नहीं, पलकें तुम्हारी राह पर
फिर क्यों राह तकते हो, गुजर जाने के बाद।
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कौन जाने, कब तलक, वो भटकता ही फिरे
आओ उसे हम ही बता दें ‘रास्ता-ए-मंजिलें’ ।
4 comments:
bahut sunder rachna
kabhi yaha bhi aaye
www.deepti0sharma.blogspot.com
Lovely presentation !
bahut sunder rachna.
bahut khoob.........
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