बम फूटते हैं, बम फोड़े जाते हैं
कुछ हंसते हैं, कुछ रोते हैं
कुछ तड़फते हैं, कुछ बिलखते हैं
कुछ मर जाते हैं
कुछ अधमरे रह जाते हैं
कुछ पहचाने
तो कुछ गुमनाम जाते हैं
हर बार, बार बार, बम फोड़े जाते हैं
दहशत गर्दी, कत्ले-आम का
यह एक अंतर्राष्ट्रीय कारोबार है
कारोबारी, कारीगर, और आम जनमानस
कोई मुनाफे में
तो कोई नुक्सान में है
फला-फूला, एक एकाकी कारोबार है
नफ़ा-नुक्सान
खौफ-दहशत
कत्ले-आम के बीच
कुछ मर जाते हैं
कुछ मरने से बच जाते हैं
कुछ जीते - जी मर जाते हैं
उफ़ ! यह कैसा, अनोखा कारोबार है !!
1 comment:
बुरा न माने तो यह कारोबार ही है. :((
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