Friday, July 15, 2011

गुरु की जरुरत क्यों होती है !

एक जिज्ञासु व उत्साही बालक नदी किनारे पीपल पेड़ के पास बनी कुटिया में निवासरत औघड़ बाबा के पास पहुंचा, बाबा जी को प्रणाम करते हुए ...
बालक - बाबा जी मैं आपसे कुछ जानना चाहता हूँ यदि आपका आशीर्वाद हो तो !
बाबा जी - हाँ पूंछो क्या जानना चाहते है वत्स !
बालक - बाबा जी, क्या बिना किसी को गुरु बनाए भी ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है !
बाबा जी - हाँ, जरुर ज्ञान प्राप्त किया जा सकता !
बालक - बाबा जी मैं बिना किसी को गुरु बनाए ज्ञान प्राप्त करना चाहता हूँ, क्या यह संभव हो सकता है !
बाबा जी - हाँ, जरुर संभव है किन्तु ज्ञान कब व कितने समय में प्राप्त होगा इस बात की कोई समय सीमा निश्चित नहीं होगी !
बालक - क्या यह भी संभव है कि मैं ज्ञान प्राप्ति के लिए जीवन भर भटकता रहूँ और ज्ञान प्राप्त न हो !
बाबा जी - हाँ, यह भी संभव है ... वत्स अब तुम जाओ, मुझे कुछ काम करना है !
बालक - बाबा जी, बस एक सवाल और ... !
बाबा जी - ( बीच में ही टोकते हुए ) वत्स अब तुम जाओ, मुझे कुछ जरुरी काम करने हैं !
बालक - प्लीज बाबा जी, बस एक सवाल !
बाबा जी - हाँ, पूछो !
बालक - गुरु की जरुरत क्यों होती है !
बाबा जी - वत्स, गुरु की जरुरत ... जरुरत इसलिए होती है कि गुरु सदैव ही सही मार्ग बताता है, सांथ ही सांथ गुरु के द्वारा बनाया हुआ मार्ग भी सहजता से शिष्य को प्राप्त हो जाता है, उदाहरण के तौर पर यदि तुम्हें दिल्ली जाना है तब तुम भटकते-भटकाते, पूंछते-ताछते, दिल्ली तो पहुँच जाओगे किन्तु कितना समय लगेगा, कितनी परेशानियों का सामना करना पडेगा यह सुनिश्चित नहीं होगा और यह भी संभव है कि तुम दिल्ली के स्थान पर कहीं और पहुँच जाओ अर्थात दिल्ली पहुँच ही न पाओ ... यदि तुम्हारे पास एक जानकार गुरु होगा तब यह मार्ग तुमको सहजता से सुलभ हो जाएगा, भले ही थोड़ी-बहुत कठिनाइयों का सामना पड़े, थोड़ी देर-सबेर भी हो सकती है, पर तुम पहुंचोगे तो सीधे दिल्ली ही पहुंचोगे !!

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