परेशानियां, मुश्किलें, तकलीफें
कभी उमड़ पड़ती हैं
कभी ठहरी होती हैं
शब्द, भाव, विचार, की तरह
आसमां में
जमीं में
फिजाओं में
मन के किसी कोने में !
फिर किसी दिन अचानक ही
किसी तूफ़ान
किसी बवंडर
किसी भूकंप
किसी जलजले
किसी सुनामी, की तरह
उमड़ पड़ती हैं
और हम
असहाय उनके सामने खड़े होते हैं
घिरे होते हैं
खुद को देखते, टटोलते
मुश्किल, परेशां हालात में !!
कभी उमड़ पड़ती हैं
कभी ठहरी होती हैं
शब्द, भाव, विचार, की तरह
आसमां में
जमीं में
फिजाओं में
मन के किसी कोने में !
फिर किसी दिन अचानक ही
किसी तूफ़ान
किसी बवंडर
किसी भूकंप
किसी जलजले
किसी सुनामी, की तरह
उमड़ पड़ती हैं
और हम
असहाय उनके सामने खड़े होते हैं
घिरे होते हैं
खुद को देखते, टटोलते
मुश्किल, परेशां हालात में !!
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