अपना देश "बाबाओं" का देश है ...और हो भी क्यों न .... आखिर अपने देश की बुनियाद में "बाबाओं" की भूमिका महत्वपूर्ण रही है और निर्माण में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है ... अब ये निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका ... आखिर कैसे ... निर्माण में ये कौन सी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं जिसका श्रेय इन्हें दिया जाये .... बिलकुल सही प्रश्न उठाया है ... हर एक निर्माण में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से बहुत लोगों की भूमिका होती है फ़िर जब भूमिका होती है तो होती है ... श्रेय भी मिलना चाहिये ... !
... अब प्रश्न ये उठता है कि इनकी भूमिका अप्रत्यक्ष रूप से भी कैसे है .... सीधी सी बात है अपने देश के "कर्ता-धर्ता" कौन हैं ... नेता, मंत्री, प्रशासनिक अधिकारी ये सभी के सब प्रत्येक नेक कार्य के शुभारंभ के पहले अपने-अपने चहेते "बाबा" के पास जाकर "दण्डवत" होकर आशीर्वाद लेते हैं ... "हां" हुई तो कार्य शुरु, "न" हुई तो कार्य गया "खटाई" में ..... और तो और, अगर "बाबा जी" ने कह दिया "बेटा" तीन दिन बाद ही अपनी नई "कुर्सी" पर बैठना तो समझ लो यही "ब्रम्हवाक्य" है .....भईय्या जब इन "बाबाओं" के इशारे से ही काम शुरु होता है तो इनकी भूमिका कैसे न हुई ... जब हुई तो श्रेय भी मिलना चाहिये !
.... चलो अब असली मुद्दे पे आ ही जाते हैं समस्या ये है कि अब "बाबाओं" का भी जीना मुश्किल हो गया है ... असंभव ... असंभव ... अरे भाई मान भी लो, हुआ ये है कि कुछ बाबा "ग्लैमर" के माया मोह में फ़ंस गये और लंबी-लंबी "उडान" भरने लगे ... इस उडान के चक्कर में कुछ बाबा सेक्स स्केंडल, स्मगलिंग, लूट-पाट, धोखाधडी, दैहिक शोषण व नरबली जैसे "अदभुत" कारनामे करने लगे, जब इनका "उडनखटोला" कालरूपी "चिंगारी" के चपेट में आया तो खुद भी "जल" गये और पूरी "बाबा मंडली" भी "झुलस" गई ..... सही मायने मे कहा जाये तो इन "ज्वलनशील बाबाओं" के कारण यदि कोई आहत हुआ है तो "ऊर्जावान बाबा" हुये हैं .... जय "काल" ..... जय जय "महाकाल" ... !!
... अब प्रश्न ये उठता है कि इनकी भूमिका अप्रत्यक्ष रूप से भी कैसे है .... सीधी सी बात है अपने देश के "कर्ता-धर्ता" कौन हैं ... नेता, मंत्री, प्रशासनिक अधिकारी ये सभी के सब प्रत्येक नेक कार्य के शुभारंभ के पहले अपने-अपने चहेते "बाबा" के पास जाकर "दण्डवत" होकर आशीर्वाद लेते हैं ... "हां" हुई तो कार्य शुरु, "न" हुई तो कार्य गया "खटाई" में ..... और तो और, अगर "बाबा जी" ने कह दिया "बेटा" तीन दिन बाद ही अपनी नई "कुर्सी" पर बैठना तो समझ लो यही "ब्रम्हवाक्य" है .....भईय्या जब इन "बाबाओं" के इशारे से ही काम शुरु होता है तो इनकी भूमिका कैसे न हुई ... जब हुई तो श्रेय भी मिलना चाहिये !
.... चलो अब असली मुद्दे पे आ ही जाते हैं समस्या ये है कि अब "बाबाओं" का भी जीना मुश्किल हो गया है ... असंभव ... असंभव ... अरे भाई मान भी लो, हुआ ये है कि कुछ बाबा "ग्लैमर" के माया मोह में फ़ंस गये और लंबी-लंबी "उडान" भरने लगे ... इस उडान के चक्कर में कुछ बाबा सेक्स स्केंडल, स्मगलिंग, लूट-पाट, धोखाधडी, दैहिक शोषण व नरबली जैसे "अदभुत" कारनामे करने लगे, जब इनका "उडनखटोला" कालरूपी "चिंगारी" के चपेट में आया तो खुद भी "जल" गये और पूरी "बाबा मंडली" भी "झुलस" गई ..... सही मायने मे कहा जाये तो इन "ज्वलनशील बाबाओं" के कारण यदि कोई आहत हुआ है तो "ऊर्जावान बाबा" हुये हैं .... जय "काल" ..... जय जय "महाकाल" ... !!
1 comment:
ha ha
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