जन लोकपाल बिल को लेकर सारे भारत वर्ष में हलाकान मचा हुआ है, न्यूज चैनल्स, न्यूज पेपर्स, वेबसाईट, ब्लाग्स, फेसबुक, ट्वीटर, पत्रिकाओं, चर्चा मंचों तथा आमजन में बहस का मुद्दा बना हुआ है, जन लोकपाल बिल को लेकर चर्चा व चिंता जायज है किन्तु ऐसा देखने, सुनने, पढ़ने में आ रहा है कि जन लोकपाल बिल को लेकर जो चर्चा होनी चाहिए वह चर्चा का मूल केंद्र बिंदु न होकर मुद्दे से भटकाव की ओर है ! जन लोकपाल बिल को लेकर अब तक जो चर्चा देखने, सुनने, पढ़ने में मिल रही है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह बिल भ्रष्टाचार के विरुद्ध न होकर देश के संचालन को लेकर है यहाँ मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि जहां तक मेरा मानना है कि यह जन लोकपाल बिल देश के संचालन को लेकर नहीं है और न ही इसका हस्तक्षेप देश के प्रजातांत्रिक संचालन पर नकेल कसने को लेकर है, यह जन लोकपाल बिल स्पष्टरूप से, मूलरूप से भ्रष्टाचार के नियंत्रण को लेकर है।
जन लोकपाल बिल को लेकर सत्ता व सत्तासीन लोगों की चिंता जायज है कि कहीं यह बिल पारित होते ही देश के प्रजातांत्रिक संचालन में हस्तक्षेप न करने लगे, यह भी पढ़ने व सुनने में आ रहा है कि कहीं लोकपाल के पद पर बैठा व्यक्ति हिटलर की मानसिकता का निकल गया तो देश का संचालन अपने हांथ में लेकर देश का मुखिया बन कर बैठ जाएगा जिससे प्रजातांत्रिक ढांचा चरमरा जाएगा। ये विचार बुद्धिजीवी लोगों के मन में आना जायज है और आना भी चाहिए किन्तु उन बुद्धिजीवियों को यह नहीं भूलना चाहिए कि जन लोकपाल का ढांचा जो तैयार किया गया है अथवा संशोधन उपरांत जो ढांचा साकार रूप लेगा वह जन लोकपाल रूपी ढांचा देश के संचालन के लिए न होकर मात्र भ्रष्टाचार के नियंत्रण को लेकर होगा, सीधा सीधा तात्पर्य यह है कि जन लोकपाल सिर्फ, सिर्फ भ्रष्टाचार के नियंत्रण व भ्रष्टाचारियों पर दंडात्मक प्रकिया के संचालन के लिए होगा ।
जन लोकपाल बिल को लेकर उपजी या उपजाई जा रही भ्रांतियों को लेकर मेरा स्पष्टतौर पर ऐसा मानना है कि यह महज दुष्प्रचार है कि यह बिल पारित होते ही देश का प्रजातांत्रिक ढांचा चरमरा जाएगा और जन लोकपाल के पद पर बैठा व्यक्ति देश का सर्वे-सर्वा बन जाएगा, हिटलर बन जाएगा, तानाशाही करने लगेगा, ऐसा कतई नहीं होगा और न ही ऐसा होने की कोई गुंजाईश होगी । जन लोकपाल के पद पर बैठे व्यक्ति को लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के संचालन में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं होगा, जब हस्तक्षेप का अधिकार नहीं होगा तब वह किस अधिकार से हस्तक्षेप का प्रयास करेगा, यह महज दुष्प्रचार करने वाली बातें हैं ।
देश में संचालित कार्यपालिका, व्यवस्थापिका व न्यायपालिका के संचालन व नियंत्रण पर जन लोकपाल का कोई अधिकार व हस्तक्षेप नहीं होगा, अधिकार होगा तो सिर्फ इन व्यवस्थाओं में हो रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने पर होगा, भ्रष्टाचारियों को दण्डित करने पर होगा । यहाँ मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहूंगा कि लोकतंत्र के किसी भी अंग को भ्रष्टाचार व दुराचार करने की आजादी लोकतंत्र नहीं कही जा सकती, और यदि लोकतंत्र के किसी भी अंग में भ्रष्टाचार फल-फूल रहा है तो उसके जिम्मेदार लोगों को दण्डित होना ही चाहिए फिर चाहे वे कार्यपालिका के हों, व्यवस्थापिका के हों या न्यायपालिका के ।
जन लोकपाल बिल का ढांचा भ्रष्टाचार के विरुद्ध जन आन्दोलन के अगुवा व आमरण अनशन पर बैठे समाजसेवी अन्ना हजारे के सहयोगियों द्वारा तैयार किया गया है तथा उनकी मांग है कि देश से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए जन लोकपाल बिल का पारित किया जाना अत्यंत आवश्यक है, देश में बढ़ रहे निरंतर भ्रष्टाचार व घोटालों ने निश्चित ही देश को शर्मसार किया है कामनवेल्थ घोटाला, टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला, आदर्श सोसायटी घोटाला ऐसे घोटाले हैं जिन्होंने भ्रष्ट सरकारों की कलई खोल कर रख दी है। अपने देश में भ्रष्टाचार व घोटालों की निरंतर बाढ़ आई हुई है, आमजन का जीना दुश्वार हुआ है, लोकतंत्र के सभी अंगों में भ्रष्टाचार जग जाहिर हैं, इन विकराल परिस्थितियों में जन लोकपाल बिल एक उम्मीद की किरण बनकर हमारे सामने है, सरकारों, जनप्रतिनीधियों, नौकरशाहों, बुद्धिजीवियों व समस्त मीडिया जगत को जन लोकपाल बिल का समर्थन करना चाहिए जिससे भ्रष्टाचार मुक्त समाज व राष्ट्र का निर्माण हो सके ।
जन लोकपाल बिल को लेकर सत्ता व सत्तासीन लोगों की चिंता जायज है कि कहीं यह बिल पारित होते ही देश के प्रजातांत्रिक संचालन में हस्तक्षेप न करने लगे, यह भी पढ़ने व सुनने में आ रहा है कि कहीं लोकपाल के पद पर बैठा व्यक्ति हिटलर की मानसिकता का निकल गया तो देश का संचालन अपने हांथ में लेकर देश का मुखिया बन कर बैठ जाएगा जिससे प्रजातांत्रिक ढांचा चरमरा जाएगा। ये विचार बुद्धिजीवी लोगों के मन में आना जायज है और आना भी चाहिए किन्तु उन बुद्धिजीवियों को यह नहीं भूलना चाहिए कि जन लोकपाल का ढांचा जो तैयार किया गया है अथवा संशोधन उपरांत जो ढांचा साकार रूप लेगा वह जन लोकपाल रूपी ढांचा देश के संचालन के लिए न होकर मात्र भ्रष्टाचार के नियंत्रण को लेकर होगा, सीधा सीधा तात्पर्य यह है कि जन लोकपाल सिर्फ, सिर्फ भ्रष्टाचार के नियंत्रण व भ्रष्टाचारियों पर दंडात्मक प्रकिया के संचालन के लिए होगा ।
जन लोकपाल बिल को लेकर उपजी या उपजाई जा रही भ्रांतियों को लेकर मेरा स्पष्टतौर पर ऐसा मानना है कि यह महज दुष्प्रचार है कि यह बिल पारित होते ही देश का प्रजातांत्रिक ढांचा चरमरा जाएगा और जन लोकपाल के पद पर बैठा व्यक्ति देश का सर्वे-सर्वा बन जाएगा, हिटलर बन जाएगा, तानाशाही करने लगेगा, ऐसा कतई नहीं होगा और न ही ऐसा होने की कोई गुंजाईश होगी । जन लोकपाल के पद पर बैठे व्यक्ति को लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के संचालन में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं होगा, जब हस्तक्षेप का अधिकार नहीं होगा तब वह किस अधिकार से हस्तक्षेप का प्रयास करेगा, यह महज दुष्प्रचार करने वाली बातें हैं ।
देश में संचालित कार्यपालिका, व्यवस्थापिका व न्यायपालिका के संचालन व नियंत्रण पर जन लोकपाल का कोई अधिकार व हस्तक्षेप नहीं होगा, अधिकार होगा तो सिर्फ इन व्यवस्थाओं में हो रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने पर होगा, भ्रष्टाचारियों को दण्डित करने पर होगा । यहाँ मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहूंगा कि लोकतंत्र के किसी भी अंग को भ्रष्टाचार व दुराचार करने की आजादी लोकतंत्र नहीं कही जा सकती, और यदि लोकतंत्र के किसी भी अंग में भ्रष्टाचार फल-फूल रहा है तो उसके जिम्मेदार लोगों को दण्डित होना ही चाहिए फिर चाहे वे कार्यपालिका के हों, व्यवस्थापिका के हों या न्यायपालिका के ।
जन लोकपाल बिल का ढांचा भ्रष्टाचार के विरुद्ध जन आन्दोलन के अगुवा व आमरण अनशन पर बैठे समाजसेवी अन्ना हजारे के सहयोगियों द्वारा तैयार किया गया है तथा उनकी मांग है कि देश से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए जन लोकपाल बिल का पारित किया जाना अत्यंत आवश्यक है, देश में बढ़ रहे निरंतर भ्रष्टाचार व घोटालों ने निश्चित ही देश को शर्मसार किया है कामनवेल्थ घोटाला, टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला, आदर्श सोसायटी घोटाला ऐसे घोटाले हैं जिन्होंने भ्रष्ट सरकारों की कलई खोल कर रख दी है। अपने देश में भ्रष्टाचार व घोटालों की निरंतर बाढ़ आई हुई है, आमजन का जीना दुश्वार हुआ है, लोकतंत्र के सभी अंगों में भ्रष्टाचार जग जाहिर हैं, इन विकराल परिस्थितियों में जन लोकपाल बिल एक उम्मीद की किरण बनकर हमारे सामने है, सरकारों, जनप्रतिनीधियों, नौकरशाहों, बुद्धिजीवियों व समस्त मीडिया जगत को जन लोकपाल बिल का समर्थन करना चाहिए जिससे भ्रष्टाचार मुक्त समाज व राष्ट्र का निर्माण हो सके ।
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