कब तक मैं खामोश बैठता
कई घंटों से बैठा था
सोच रहा था, क्या ना जाने
क्या धुन थी खामोशी की !
बैठे बैठे सोच रहा था
डूबा था खामोशी में
क्यों और कैसा, था सन्नाटा
क्या धुन थी खामोशी की !
कब से मैं खामोश रहा था
और कब तक खामोशी थी
ये मुझको भी खबर नहीं थी
क्या धुन थी खामोशी की !
कुछ घंटों से देख रहा था
सदियों सी सरसराहट थी
कुछ बैचेनी, कुछ हलचल थी
क्या धुन थी, खामोशी की !!
कई घंटों से बैठा था
सोच रहा था, क्या ना जाने
क्या धुन थी खामोशी की !
बैठे बैठे सोच रहा था
डूबा था खामोशी में
क्यों और कैसा, था सन्नाटा
क्या धुन थी खामोशी की !
कब से मैं खामोश रहा था
और कब तक खामोशी थी
ये मुझको भी खबर नहीं थी
क्या धुन थी खामोशी की !
कुछ घंटों से देख रहा था
सदियों सी सरसराहट थी
कुछ बैचेनी, कुछ हलचल थी
क्या धुन थी, खामोशी की !!
1 comment:
बेहतरीन khamoshi
मेरे ब्लॉग पर आयें, आपका स्वागत है
बचें ऑनलाइन जॉब्स की धोखाधड़ी से
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