‘उदय’ कहता है मत पूछो, क्या आलम है बस्ती का / हर किसी का अपना जहां, अपना-अपना आसमां है !
शोर से तो सन्नाटा भलामेरा ब्लॉग भी देखें भले को भला कहना भी पाप
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शोर से तो सन्नाटा भला
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भले को भला कहना भी पाप
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