तेरे सपने, मेरे सपने
इन आँखों के सच्चे सपने
दूर गगन में तारे अपने
जगमग करते सारे जग में
फूल खिले हैं बगिया में
उन फूलों की खुशबू अपनी
नदियों में बहता है पानी
उस पानी में मछली अपनीं
पवन है बहती पास गगन में
उसमें उड़तीं चिड़ियाँ अपनी
तेरे सपने, मेरे सपने
इन आँखों के सच्चे सपने !!
इन आँखों के सच्चे सपने
दूर गगन में तारे अपने
जगमग करते सारे जग में
फूल खिले हैं बगिया में
उन फूलों की खुशबू अपनी
नदियों में बहता है पानी
उस पानी में मछली अपनीं
पवन है बहती पास गगन में
उसमें उड़तीं चिड़ियाँ अपनी
तेरे सपने, मेरे सपने
इन आँखों के सच्चे सपने !!
No comments:
Post a Comment