सच ! तुम पिछली कई रातों से
कुछ चुम्बकीय से थे
क्यूं थे, क्या बजह थी
कभी नहीं जानना चाहा मैंने
तुम्हारा चुम्बकीय होना
कुछ अलग नहीं था, सिर्फ
प्यार में अनोखापन था
इन दिनों, तुम पहले से नहीं थे
मैंने महसूस किया है, तुम्हें
तुम हिमालय की तरह
सच ! तुम बर्फ की तरह
बूँद बूँद झरते रहते थे
बजह चाहे जो भी रही हो
पर मुझे तृप्ति मिलती थी
तुम्हारे बूँद बूँद झरने से
शायद, इसलिए
मैं गर्म थी, तपती धरती सी
मुझे तुम्हारा हिमालय सा झरना
और मुझमें समा जाना
सुकूं, ठंडक, और खुशी दे रहा था
सुनो, तुम्हारा झरना निष्फल नहीं था
आज सुबह-सुबह जाना मैंने
तुम्हारा हिमालय सा, कतरे कतरे में झरना
और बूँद बूँद बन, मुझमें समा जाना
सच ! तुम्हारी ये धरा, अंकुरित हो गई है !!
कुछ चुम्बकीय से थे
क्यूं थे, क्या बजह थी
कभी नहीं जानना चाहा मैंने
तुम्हारा चुम्बकीय होना
कुछ अलग नहीं था, सिर्फ
प्यार में अनोखापन था
इन दिनों, तुम पहले से नहीं थे
मैंने महसूस किया है, तुम्हें
तुम हिमालय की तरह
सच ! तुम बर्फ की तरह
बूँद बूँद झरते रहते थे
बजह चाहे जो भी रही हो
पर मुझे तृप्ति मिलती थी
तुम्हारे बूँद बूँद झरने से
शायद, इसलिए
मैं गर्म थी, तपती धरती सी
मुझे तुम्हारा हिमालय सा झरना
और मुझमें समा जाना
सुकूं, ठंडक, और खुशी दे रहा था
सुनो, तुम्हारा झरना निष्फल नहीं था
आज सुबह-सुबह जाना मैंने
तुम्हारा हिमालय सा, कतरे कतरे में झरना
और बूँद बूँद बन, मुझमें समा जाना
सच ! तुम्हारी ये धरा, अंकुरित हो गई है !!
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