क्या औरत वही दिखा रही है जो पुरुष देखना चाहता है ....... या फिर वह जानती है कि कैसे पुरुषों को अपनी ओर आकर्षित किया जाये .....क्यों ऎसे छोटे-छोटे ब्लाउज पहनना जिसमें से अधखुले-झलकते स्तनों की नुमाईस हो .... क्यों पूर्णरुपेण खुली हुई पीठ झलकॆ ... क्यों ऎसी मिनी स्कर्ट पहनना जिससे टांगें झलकें ..... क्यों इतने भीने-भीने कपडे पहनना जो लगभग पारदर्सी हों .... कहीं ऎसा तो नहीं ..... पुरुष देख के खुश, तो महिला दिखा के खुश !!!
.....इस भागम-भाग दौर में भला एक औरत दूसरी औरत से पीछे क्यों रहे .... उसे पीछे रहने की जरुरत भी क्या है ... अगर पीछे रह जायेगी तो "बहन जी" ..... बैकवर्ड ... या देहाती .... जैसे कांटों की तरह चुभने वाले "कमेंट" सुन सुन कर पानी पानी हो जायेगी ..... आज की कुछेक औरतें तो इतनी समझदार, चालाक व बुद्धिमान हो गई हैं कि वह जानती हैं .... पुरुषों को कैसे आकर्षित किया जाए ..... या फ़िर कैसे खुद को आकर्षण का केन्द्र बनाया जाये .... लेकिन जिस्म की इस तरह खुल्लम-खुल्ला नुमाईस .... कहीं ऎसा तो नहीं ..... पुरुष देख के खुश, तो महिला दिखा के खुश ......
.... औरत के पहने टाईट जींस-टी शर्ट से झलकते जिस्म, मिनी स्कर्ट में छलकती जांघें, अधखुले स्तनों, खुली पीठ व मादक अदाओं को देख कर ....... पुरुष सडक पर, बाजार में, समारोहों में, कार्यालयों में तथा आस-पडोस में आहें भरने से भला क्यों न बाज आये .... और तो और कुछ लोगों का तो दिन का चैन व रातों की नींद तक गायब हो जाती है ..... ये बिलकुल आम बात होते जा रही है कि वर्तमान समय में कुछेक महिलायें जान-बूझ कर ही ऎसे कपडे पहनने लगीं हैं कि उनके जिस्म की नुमाईस स्वमेव हो ....... आखिर क्यों, किसलिये, .... ऎसे उटपटांग .... भडकीले .... कामोत्तेजक कपडे पहनने की जरुरत ही क्या है .....कहीं ऎसा तो नहीं ..... पुरुष देख के खुश, तो महिला दिखा के खुश !!!
.....इस भागम-भाग दौर में भला एक औरत दूसरी औरत से पीछे क्यों रहे .... उसे पीछे रहने की जरुरत भी क्या है ... अगर पीछे रह जायेगी तो "बहन जी" ..... बैकवर्ड ... या देहाती .... जैसे कांटों की तरह चुभने वाले "कमेंट" सुन सुन कर पानी पानी हो जायेगी ..... आज की कुछेक औरतें तो इतनी समझदार, चालाक व बुद्धिमान हो गई हैं कि वह जानती हैं .... पुरुषों को कैसे आकर्षित किया जाए ..... या फ़िर कैसे खुद को आकर्षण का केन्द्र बनाया जाये .... लेकिन जिस्म की इस तरह खुल्लम-खुल्ला नुमाईस .... कहीं ऎसा तो नहीं ..... पुरुष देख के खुश, तो महिला दिखा के खुश ......
.... औरत के पहने टाईट जींस-टी शर्ट से झलकते जिस्म, मिनी स्कर्ट में छलकती जांघें, अधखुले स्तनों, खुली पीठ व मादक अदाओं को देख कर ....... पुरुष सडक पर, बाजार में, समारोहों में, कार्यालयों में तथा आस-पडोस में आहें भरने से भला क्यों न बाज आये .... और तो और कुछ लोगों का तो दिन का चैन व रातों की नींद तक गायब हो जाती है ..... ये बिलकुल आम बात होते जा रही है कि वर्तमान समय में कुछेक महिलायें जान-बूझ कर ही ऎसे कपडे पहनने लगीं हैं कि उनके जिस्म की नुमाईस स्वमेव हो ....... आखिर क्यों, किसलिये, .... ऎसे उटपटांग .... भडकीले .... कामोत्तेजक कपडे पहनने की जरुरत ही क्या है .....कहीं ऎसा तो नहीं ..... पुरुष देख के खुश, तो महिला दिखा के खुश !!!
1 comment:
एक ही ऑक्टोपस के अलग किये गए दो हिस्से होने के कारण स्त्री पुरुष दोनों में पारस्परिक आकर्षण नैसर्गिक है , शायद ऐसा न होना असामान्य हो. I आकर्षित करने के तरीके कुछ और भी हो सकते हैं जैसे हंसमुख व्यक्तित्व और सौम्य आचरण, मृदु भाषी होना आदि आदि I आकर्षित करने के लिए अंग प्रदर्शन जैसे भोंडे तरीके अपनाने की कोई आवश्यकता प्रतीत नहीं होती !
उत्तम लेख जो कुछ सोचने पर विवश करता है !
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