जन लोकपाल बिल को पारित किये जाने तथा जन लोकपाल के गठन को लेकर विगत दिनों अन्ना हजारे ने अपने समर्थकों व सहयोगियों के सांथ मिलकर दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर आमरण अनशन रूपी जन आन्दोलन किया, सरकार को अन्ना हजारे की भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की मांगे जायज तथा भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए कारगर लगीं, परिणाम स्वरूप सरकार ने मांगों के अनुरूप जन लोकपाल बिल ड्राफ्टिंग समीति का संवैधानिक तौर पर गठन किया । किन्तु समीति के गठन के उपरांत से ही राजनैतिक दलों के तथाकथित नेताओं तथा इलेक्ट्रानिक, प्रिंट व इंटरनेट मीडिया से जुड़े बुद्धिजीवी वर्ग ने तरह तरह के नकारात्मक सवाल उठाने शुरू किये, कहने का तात्पर्य यह है कि सवालों पे सवाल दागते हुए ड्राफ्टिंग समीति के सिविल सोसायटी के सदस्यों को सवालों के कटघरे में खडा करने का भरपूर प्रयास किया तथा प्रयास जारी भी है ।
सवाल उठाना व सवाल पे सवाल खड़े करना एक सीमा तक तो जायज हैं किन्तु जब ये सवाल भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के समर्थन में न होकर अभियान को क्षत-विक्षित करने के भाव से उठ रहे हों तब तो ये सवाल अपने आप में चिंतनीय व निरर्थक ही कहे जा सकते हैं । जहां तक मेरा मानना है कि जब यह अभियान भ्रष्टाचार को समाप्त करने के उद्देश्य से प्रारम्भ किया गया है तब इस अभियान से जुड़े सिविल सोसायटी के सदस्यों पर सवाल पे सवाल दाग कर सवालों के कटघरे में खडा करने के पीछे का मकसद, अपने आप में भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का समर्थन न होकर अप्रत्यक्ष रूप से अभियान का विरोध करना ही माना जाएगा । चलो कुछ देर के लिए हम मान लेते हैं कि सिविल सोसायटी के सदस्य दागदार छवी के हैं या होंगे, लेकिन इसका यह तात्पर्य तो कतई नहीं लगाया जा सकता कि उनकी मंशा इस भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को दागदार करने की है या होगी, फिलहाल तो यह सर्वविदित सत्य है कि इस समीति के गठन का मुख्य व प्रभावशाली उद्देश्य मजबूत व ठोस जन लोकपाल के गठन के लिए एक निष्पक्ष व पारदर्शी ड्राफ्ट तैयार करना जाहिर है ।
जहां तक मेरा मानना है कि जब तक जन लोकपाल ड्राफ्ट बिल का तैयार नहीं हो जाता तब तक इसके सदस्यों पर उंगली उठाना न्यायसंगत व व्यवहारिक नहीं होगा, वैसे भी सिविल सोसायटी के सदस्यों ने ड्राफ्टिंग कमेटी की मीटिंग्स की वीडियो रिकार्डिंग किये जाने का तर्क निष्पक्ष भाव से रखा था किन्तु उसे अस्वीकारते हुए आडियो रिकार्डिंग की अनुमति दी गई, इससे अपने आप में सिविल सोसायटी के सदस्यों की निष्पक्ष मंशा स्वमेव परिलक्षित हो जाती है । जब तक जन लोकपाल ड्राफ्ट तैयार होकर सामने नहीं आ जाता तब तक ड्राफ्टिंग कमेटी के किसी भी सदस्य पर सवाल उठाना लाजिमी नहीं होगा, जो तथाकथित महानुभाव सवाल पे सवाल खडा कर इस भ्रष्टाचार विरोधी मुहीम को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं उन्हें यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि उनका यह नकारात्मक अभियान जनता के समक्ष है तथा संभव है भविष्य में जन आक्रोश का उन्हें भी सामना करना पड़ सकता है, जहां तक मेरा मानना है कि यह कहना अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं होगा कि यह भ्रष्टाचार विरोधी अभियान महज अन्ना हजारे या चंद लोगों का अभियान नहीं है वरन देश के हर उस एक एक आदमी का अभियान है जो भ्रष्टाचार के विरुद्ध जंग लड़ रहा है ।
यहाँ पर यह स्पष्ट कर देना आवश्यक समझता हूँ कि जो लोग अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान अर्थात जंतर-मंतर पर आयोजित आमरण अनशन कार्यक्रम के प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं वे भली भांति जानते व समझते होंगे कि इस अभियान ने महज ३-४ दिनों में ही जो भयंकर रूप धारण कर लिया था उसे कोई साधारण अभियान नहीं माना जा सकता, और यदि कोई भी बुद्धिजीवी वर्ग इसे साधारण अभियान अर्थात आन्दोलन मान कर चल रहा है तो उसके आंकलन पर वह खुद ही सवालिया निशान लगा रहा है । भ्रष्टाचार के विरोध में जो जन आक्रोश व सैलाव उमड़ कर सामने आया था वह कतई नजर अंदाज किये जाने योग्य नहीं है, और यदि राजनैतिक दलों व मीडिया से जुड़े बुद्धिजीवी इस जन सैलाव व जन आक्रोश को अनावश्यक सवालों के माध्यम से दबाने या दिग्भ्रमित करने की चेष्ठा करते रहेंगे तो मेरा व्यक्तिगत आंकलन यह है कि उनकी यह दुर्भावनापूर्ण चेष्ठा कहीं आग में घी डालने का काम न करने लगे तथा परिणामस्वरूप भविष्य में जन आक्रोश का स्वरूप कहीं अधिक भयंकर रूप लेकर न उमड़ पड़े ।
जन लोकपाल का गठन वर्त्तमान भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की महज एक महत्वपूर्ण मांग नहीं कही जा सकती वरन यह कहना कहीं ज्यादा मुनासिब होगा कि यह मांग भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की एक मजबूत आधारशिला सिद्ध होगी, जन लोकपाल का गठन वर्त्तमान में देश में व्याप्त भ्रष्टाचार से निपटने व दोषियों को दण्डित किये जाने हेतु अत्यंत आवश्यक है, ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्यों पर सवाल पे सवाल दागने की अपेक्षा यह हितकर होगा कि ज़रा धैर्य रखा जाए तथा जन लोकपाल के गठन संबंधी ड्राफ्ट की रूप-रेखा की प्रतीक्षा की जाए । जन लोकपाल के गठन के पीछे किसी व्यक्ति या संस्था विशेष की कोई दुर्भावना रूपी मंशा नहीं है तथा जन लोकपाल के गठन की प्रक्रिया महज चंद लोगों के लिए लाभकारी न होकर वरन समूचे भारत वर्ष के लिए हितकर है अत: न सिर्फ राजनैतिक वरन मीडिया से जुड़े समस्त बुद्धिजीवी वर्ग को धैर्य का परिचय देते हुए भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में सकारात्मक पहल का पक्षधर होना चाहिए ।
सवाल उठाना व सवाल पे सवाल खड़े करना एक सीमा तक तो जायज हैं किन्तु जब ये सवाल भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के समर्थन में न होकर अभियान को क्षत-विक्षित करने के भाव से उठ रहे हों तब तो ये सवाल अपने आप में चिंतनीय व निरर्थक ही कहे जा सकते हैं । जहां तक मेरा मानना है कि जब यह अभियान भ्रष्टाचार को समाप्त करने के उद्देश्य से प्रारम्भ किया गया है तब इस अभियान से जुड़े सिविल सोसायटी के सदस्यों पर सवाल पे सवाल दाग कर सवालों के कटघरे में खडा करने के पीछे का मकसद, अपने आप में भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का समर्थन न होकर अप्रत्यक्ष रूप से अभियान का विरोध करना ही माना जाएगा । चलो कुछ देर के लिए हम मान लेते हैं कि सिविल सोसायटी के सदस्य दागदार छवी के हैं या होंगे, लेकिन इसका यह तात्पर्य तो कतई नहीं लगाया जा सकता कि उनकी मंशा इस भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को दागदार करने की है या होगी, फिलहाल तो यह सर्वविदित सत्य है कि इस समीति के गठन का मुख्य व प्रभावशाली उद्देश्य मजबूत व ठोस जन लोकपाल के गठन के लिए एक निष्पक्ष व पारदर्शी ड्राफ्ट तैयार करना जाहिर है ।
जहां तक मेरा मानना है कि जब तक जन लोकपाल ड्राफ्ट बिल का तैयार नहीं हो जाता तब तक इसके सदस्यों पर उंगली उठाना न्यायसंगत व व्यवहारिक नहीं होगा, वैसे भी सिविल सोसायटी के सदस्यों ने ड्राफ्टिंग कमेटी की मीटिंग्स की वीडियो रिकार्डिंग किये जाने का तर्क निष्पक्ष भाव से रखा था किन्तु उसे अस्वीकारते हुए आडियो रिकार्डिंग की अनुमति दी गई, इससे अपने आप में सिविल सोसायटी के सदस्यों की निष्पक्ष मंशा स्वमेव परिलक्षित हो जाती है । जब तक जन लोकपाल ड्राफ्ट तैयार होकर सामने नहीं आ जाता तब तक ड्राफ्टिंग कमेटी के किसी भी सदस्य पर सवाल उठाना लाजिमी नहीं होगा, जो तथाकथित महानुभाव सवाल पे सवाल खडा कर इस भ्रष्टाचार विरोधी मुहीम को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं उन्हें यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि उनका यह नकारात्मक अभियान जनता के समक्ष है तथा संभव है भविष्य में जन आक्रोश का उन्हें भी सामना करना पड़ सकता है, जहां तक मेरा मानना है कि यह कहना अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं होगा कि यह भ्रष्टाचार विरोधी अभियान महज अन्ना हजारे या चंद लोगों का अभियान नहीं है वरन देश के हर उस एक एक आदमी का अभियान है जो भ्रष्टाचार के विरुद्ध जंग लड़ रहा है ।
यहाँ पर यह स्पष्ट कर देना आवश्यक समझता हूँ कि जो लोग अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान अर्थात जंतर-मंतर पर आयोजित आमरण अनशन कार्यक्रम के प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं वे भली भांति जानते व समझते होंगे कि इस अभियान ने महज ३-४ दिनों में ही जो भयंकर रूप धारण कर लिया था उसे कोई साधारण अभियान नहीं माना जा सकता, और यदि कोई भी बुद्धिजीवी वर्ग इसे साधारण अभियान अर्थात आन्दोलन मान कर चल रहा है तो उसके आंकलन पर वह खुद ही सवालिया निशान लगा रहा है । भ्रष्टाचार के विरोध में जो जन आक्रोश व सैलाव उमड़ कर सामने आया था वह कतई नजर अंदाज किये जाने योग्य नहीं है, और यदि राजनैतिक दलों व मीडिया से जुड़े बुद्धिजीवी इस जन सैलाव व जन आक्रोश को अनावश्यक सवालों के माध्यम से दबाने या दिग्भ्रमित करने की चेष्ठा करते रहेंगे तो मेरा व्यक्तिगत आंकलन यह है कि उनकी यह दुर्भावनापूर्ण चेष्ठा कहीं आग में घी डालने का काम न करने लगे तथा परिणामस्वरूप भविष्य में जन आक्रोश का स्वरूप कहीं अधिक भयंकर रूप लेकर न उमड़ पड़े ।
जन लोकपाल का गठन वर्त्तमान भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की महज एक महत्वपूर्ण मांग नहीं कही जा सकती वरन यह कहना कहीं ज्यादा मुनासिब होगा कि यह मांग भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की एक मजबूत आधारशिला सिद्ध होगी, जन लोकपाल का गठन वर्त्तमान में देश में व्याप्त भ्रष्टाचार से निपटने व दोषियों को दण्डित किये जाने हेतु अत्यंत आवश्यक है, ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्यों पर सवाल पे सवाल दागने की अपेक्षा यह हितकर होगा कि ज़रा धैर्य रखा जाए तथा जन लोकपाल के गठन संबंधी ड्राफ्ट की रूप-रेखा की प्रतीक्षा की जाए । जन लोकपाल के गठन के पीछे किसी व्यक्ति या संस्था विशेष की कोई दुर्भावना रूपी मंशा नहीं है तथा जन लोकपाल के गठन की प्रक्रिया महज चंद लोगों के लिए लाभकारी न होकर वरन समूचे भारत वर्ष के लिए हितकर है अत: न सिर्फ राजनैतिक वरन मीडिया से जुड़े समस्त बुद्धिजीवी वर्ग को धैर्य का परिचय देते हुए भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में सकारात्मक पहल का पक्षधर होना चाहिए ।
2 comments:
मीडिया का हाल बहुत बुरा हो चुका है. इसी विषय पर मैंने भी लिखा है-
मीडिया की दशा और दिशा पर आंसू बहाएं
मेरी नयी पोस्ट
मिलिए हमारी गली के महामूर्ख से
aadat padee hai hr achchhee baat ka virodh karne kee
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