मोहब्बत में, वादों में, सच्चाई में
दिल, दिमाग को, आपस में जद्दो-जहद करते देखा है !
जिन्दगी में, जिन्दगी से, जिन्दगी को
रूठते-मनाते, रोते-हंसते, पल-पल आगे बढ़ते देखा है !
सत्ता के गलियारों से साहित्यिक चौपालों तक
छल, कपट, प्रपंचरूपी मुखौटों को आगे बढ़ते देखा है !
नहीं था रंज, हार-जीत का हमें
भेद-भाव के बीच भी, इरादों को आगे बढ़ते देखा है !
तंग, मुश्किल, परेशां, घड़ी में भी
हमने खुद को, कदम-दर-कदम आगे बढ़ते देखा है !!
दिल, दिमाग को, आपस में जद्दो-जहद करते देखा है !
जिन्दगी में, जिन्दगी से, जिन्दगी को
रूठते-मनाते, रोते-हंसते, पल-पल आगे बढ़ते देखा है !
सत्ता के गलियारों से साहित्यिक चौपालों तक
छल, कपट, प्रपंचरूपी मुखौटों को आगे बढ़ते देखा है !
नहीं था रंज, हार-जीत का हमें
भेद-भाव के बीच भी, इरादों को आगे बढ़ते देखा है !
तंग, मुश्किल, परेशां, घड़ी में भी
हमने खुद को, कदम-दर-कदम आगे बढ़ते देखा है !!
1 comment:
जिन्दगी में, जिन्दगी से, जिन्दगी को
रूठते-मनाते, रोते-हंसते, पल-पल आगे बढ़ते देखा है !
बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने ....
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