होना चाहिए, हर किसी को होना चाहिए
ख्याल
'संसद की गरिमा' का
क्यों, क्योंकि
हम एक मजबूत व विशाल लोकतंत्र के सदस्य हैं, अंग हैं !
किन्तु
क्या सिर्फ आम नागरिकों का ही कर्तव्य है
कि -
सिर्फ वे ही 'संसद की गरिमा' का ख्याल रखें !
ख़ास तौर पर वे
जो भ्रष्टाचार का विरोध कर रहे हैं
या सिर्फ वे -
जो भ्रष्टाचार विरोधी जन आन्दोलन के अगुवा हैं !
या फिर उनका भी कर्तव्य है
जो संसद में बैठे हैं
संसद की आन, मान, शान हैं !
अब, जब 'संसद की गरिमा' का सवाल उठ ही गया है
तो इस सवाल पर, बहस होनी ही चाहिए
कि-
आखिर वे कौन कौन होने चाहिए
जिन्हें 'संसद की गरिमा' का ख्याल रखना चाहिए !
या फिर
यह सवाल तब-तब खडा होगा
जब-जब आम नागरिक -
अपने लोकतांत्रिक हक़ के लिए आवाज उठाएगा
आवाज बुलंद करेगा !
या फिर
जब कोई संसद में हो रही असंसदीय क्रिया पर
सवालिया निशान खड़े करेगा !
मैं यह जानना चाहता हूँ कि - जब रिश्वत लेकर, घूंस लेकर, लालच-प्रलोभन में
सवाल पूंछे जाते हैं
तब क्या 'संसद की गरिमा' का ख्याल नहीं रहता !
मैं यह भी जानना चाहता हूँ कि - जब रिश्वत लेकर, घूंस लेकर, लालच-प्रलोभन में
खुल्लम-खुल्ला, सरेआम, पर्दे की आड़ में
मुद्दों पर, पक्ष या विपक्ष में मतदान / समर्थन किया जाता है तब क्या 'संसद की गरिमा' का ख्याल नहीं रहता !
मैं यह भी जानना-समझना चाहता हूँ कि -
जो लोग 'भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन' को
असंवैधानिक आन्दोलन होने का पाठ पढ़ा रहे हैं
वे बताएं, समझाएं कि -
वर्त्तमान में, लोकतंत्र के कोने-कोने में, अंग-अंग में
जो भ्रष्टाचार फैला हुआ है, फल-फूल रहा है
वह कितना संवैधानिक है !!
ख्याल
'संसद की गरिमा' का
क्यों, क्योंकि
हम एक मजबूत व विशाल लोकतंत्र के सदस्य हैं, अंग हैं !
किन्तु
क्या सिर्फ आम नागरिकों का ही कर्तव्य है
कि -
सिर्फ वे ही 'संसद की गरिमा' का ख्याल रखें !
ख़ास तौर पर वे
जो भ्रष्टाचार का विरोध कर रहे हैं
या सिर्फ वे -
जो भ्रष्टाचार विरोधी जन आन्दोलन के अगुवा हैं !
या फिर उनका भी कर्तव्य है
जो संसद में बैठे हैं
संसद की आन, मान, शान हैं !
अब, जब 'संसद की गरिमा' का सवाल उठ ही गया है
तो इस सवाल पर, बहस होनी ही चाहिए
कि-
आखिर वे कौन कौन होने चाहिए
जिन्हें 'संसद की गरिमा' का ख्याल रखना चाहिए !
या फिर
यह सवाल तब-तब खडा होगा
जब-जब आम नागरिक -
अपने लोकतांत्रिक हक़ के लिए आवाज उठाएगा
आवाज बुलंद करेगा !
या फिर
जब कोई संसद में हो रही असंसदीय क्रिया पर
सवालिया निशान खड़े करेगा !
मैं यह जानना चाहता हूँ कि - जब रिश्वत लेकर, घूंस लेकर, लालच-प्रलोभन में
सवाल पूंछे जाते हैं
तब क्या 'संसद की गरिमा' का ख्याल नहीं रहता !
मैं यह भी जानना चाहता हूँ कि - जब रिश्वत लेकर, घूंस लेकर, लालच-प्रलोभन में
खुल्लम-खुल्ला, सरेआम, पर्दे की आड़ में
मुद्दों पर, पक्ष या विपक्ष में मतदान / समर्थन किया जाता है तब क्या 'संसद की गरिमा' का ख्याल नहीं रहता !
मैं यह भी जानना-समझना चाहता हूँ कि -
जो लोग 'भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन' को
असंवैधानिक आन्दोलन होने का पाठ पढ़ा रहे हैं
वे बताएं, समझाएं कि -
वर्त्तमान में, लोकतंत्र के कोने-कोने में, अंग-अंग में
जो भ्रष्टाचार फैला हुआ है, फल-फूल रहा है
वह कितना संवैधानिक है !!
1 comment:
पहले सरकार खुद तो संसद की गरिमा का ख्याल रखले
way4host
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