Thursday, August 18, 2011

हवा महल

हवा महल
हमारे देश में ...
शान, मान, आन, का प्रतीक है
सच ! वहां होने थे, सच्चे-अच्छे लोग !!
किन्तु
वहां है जमावड़ा
नंगे, लुच्चे, चोर, उचक्के
गुंडे, बदमाश, माफिया, अपराधी
हत्यारे, लुटेरे, घोटालेबाज-भ्रष्टों का !!

उफ़ ! ये हवा महल !!
क्या हो गया है
क्यों हो गया है
कैसे हो गया है
चहूँ ओर
आगे, पीछे, ऊपर, नीचे, दांए, बांए
हवा महल में
सिर्फ, सिर्फ, सिर्फ ...
स्वार्थी, कपटी, लोगों का ही जमावड़ा है !!

हे राम ! क्या सोचा था हमने !!
और ये क्या से क्या हो गया है
हमारे देश का !
ये कैसा अनोखा-अद्भुत हवा महल है !!
जहां लोग
सिर्फ अपने, अपने लिए, गुणा-भाग कर रहे हैं
जिन्हें जनमानस
कि -
कोई, कतई चिंता नहीं है
उफ़ ! ये हवा महल !!

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