एक दिन शाम को अंधेरा होते होते जबरदस्त दहाड़ की आवाज सुन गाँव के सारे कुत्ते घबडा गए, डर कर दुम दबा कर अपनी अपनी मित्र मंडली के सांथ रात भर डरे-सहमे छिपे रहे, अगले दिन सुबह होने पर गाँव के सारे कुत्ते डरे-सहमे नजर आए तथा डरी-सहमी हालत में ही एक-दूसरे को शालीनता से घूरते नजर आए किन्तु अचम्भे की बात तो यह थी कि गाँव के सारे कुत्ते अर्थात लगभग 'पांच सौ - साढ़े पांच सौ' सारे के सारे कुत्ते सहमे व डरे हुए थे इसलिए आपस के लड़ाई-झगड़ों को भुलाते हुए सब एक स्थान पर एकत्रित होकर आपस में मंत्रणा करने लगे चूंकि सभी डरे-सहमे हुए थे इसलिए सब एक-दूसरे के प्रति नम्र थे, नम्रता का कारण भी जायज था कि कल रात जो दहाड़ की आवाज सुनी थी वह सभी ने सुनी थी और सभी ने सारी रात डरी-सहमी हालत में ही गुजारी थी, उन सब का भय व डर भी जायज था क्योंकि उन्होंने जो आवाज सुनी थी वह कोई छोटी-मोटी आवाज नहीं थी जंगल के राजा बब्बर शेर की थी ! सभी कुत्तों के डरने व चिंता करने का कारण बेहद गंभीर था उन सभी के मन में भय व्याप्त हो गया था कि यदि बब्बर शेर ने गाँव में प्रवेश कर लिया तो उनकी बादशाहत ख़त्म हो जायेगी और सभी को शेर की गुलामी करनी पड़ेगी, नहीं तो शेर एक एक कर सभी को मार डालेगा, इस डर व भय ने सभी कुत्तों को एक जुट कर दिया तथा सभी आपस के छोटे-मोटे झगड़ों को भुला कर संघठित होने को तैयार हो गए !
संघठित होने के बाद भी सभी की दुम दबी-दबी सी थी क्योंकि सभी जानते थे कि बब्बर शेर तो आखिर बब्बर शेर होता है अगर उनका दांव उलटा पड़ गया तो लेने-के-देने भी पड़ सकते हैं ! सभी कुत्तों ने मिलकर तय किया कि शेर के दहाड़ने की आवाज नदी के दूसरे किनारे की ओर से आई थी इसलिए सभी के सभी कुत्ते एकजुट होकर नदी के गाँव की तरफ के किनारे पर फ़ैल कर बैठ गए, योजनानुसार शाम होते ही जैसे ही शेर नदी के दूसरे छोर पर नजर आया सारे के सारे कुत्ते उसे देखकर जोर-जोर से भौंकने लगे, इतने सारे कुत्तों को एक सांथ देख कर शेर भी अचंभित-सा खडा रहा, हुआ ये कि सारी रात सारे कुत्ते चौकन्ने रहे, परिणामस्वरूप शेर के दहाड़ने की आवाज नहीं आई, एक तरह से कुत्ते अपने 'मिशन' में कामयाब रहे दूसरे दिन फिर सारे के सारे कुत्तों ने पहले जैसे नदी के तट पर इकट्ठे हो गए जैसे ही शेर नजर आया फिर सब मिलकर एक सांथ भौंकने लगे, हुआ ये कि आज भी शेर वहीं शांत घूरता बैठा रहा, यह सिलसिला चलता रहा कुत्ते अपनी रणनीति में सफल रहे तथा गाँव में राज करते रहे !
बब्बर शेर यह सब खामोश होकर नदी के दूसरे तट से देखता रहा किन्तु शेर ने हिम्मत नहीं हारी वह जानता था कि सारे कुत्ते संघठित होकर उसे डराने का प्रयास कर रहे हैं इसलिए उसने जोश-खरोश में न आकर सुनहरे अवसर के इंतज़ार में नदी के इस ओर छलांग लगाने का विचार नहीं बनाया तथा वहीं बैठकर उस घड़ी का इंतज़ार करने लगा जब इन लालची व भ्रष्ट कुत्तों को सबक सिखा सके ! समय गुजरने लगा कुत्ते मौज-मजे मारते रहे तथा शेर इंतज़ार करता रहा, फिर अचानक शेर को एक "खुंखार शेर" नजर आया जिसे उसने सारा किस्सा सुनाया, किस्सा सुनकर दोनों ने मिलकर संघठित होकर कुत्तों को सबक सिखाने की योजना बनाई, योजना के अनुसार जब सारे कुत्ते नदी के दूसरे तट पर इकट्ठा होकर डराने आते तब एक शेर नदी के तट पर बैठा रहता तथा दूसरे "खुंखार शेर" ने गाँव में घुसकर चुपके-चुपके एक-एक, दो-दो, कुत्तों को मारना और मार कर वहीं फेंक कर आ जाना शुरू किया, यह सिलसिला देख देख कर कुत्ते घवराये तथा यह सोचने पर मजबूर हुए कि - इस समस्या का जल्द हल निकाला जाए यदि हल नहीं निकाला गया तो एक-एक कर सब के सब मारे जायेंगे, फिर सभी कुत्तों ने निर्णय अनुसार, नदी के तट पर जाकर शेर के सामने अपनी-अपनी दुम दबा कर माफी माँगी तथा उसे उसका राज-पाट सौंप दिया तथा खुद नौकर-चाकर की तरह अपना अपना काम करने लगे !!
संघठित होने के बाद भी सभी की दुम दबी-दबी सी थी क्योंकि सभी जानते थे कि बब्बर शेर तो आखिर बब्बर शेर होता है अगर उनका दांव उलटा पड़ गया तो लेने-के-देने भी पड़ सकते हैं ! सभी कुत्तों ने मिलकर तय किया कि शेर के दहाड़ने की आवाज नदी के दूसरे किनारे की ओर से आई थी इसलिए सभी के सभी कुत्ते एकजुट होकर नदी के गाँव की तरफ के किनारे पर फ़ैल कर बैठ गए, योजनानुसार शाम होते ही जैसे ही शेर नदी के दूसरे छोर पर नजर आया सारे के सारे कुत्ते उसे देखकर जोर-जोर से भौंकने लगे, इतने सारे कुत्तों को एक सांथ देख कर शेर भी अचंभित-सा खडा रहा, हुआ ये कि सारी रात सारे कुत्ते चौकन्ने रहे, परिणामस्वरूप शेर के दहाड़ने की आवाज नहीं आई, एक तरह से कुत्ते अपने 'मिशन' में कामयाब रहे दूसरे दिन फिर सारे के सारे कुत्तों ने पहले जैसे नदी के तट पर इकट्ठे हो गए जैसे ही शेर नजर आया फिर सब मिलकर एक सांथ भौंकने लगे, हुआ ये कि आज भी शेर वहीं शांत घूरता बैठा रहा, यह सिलसिला चलता रहा कुत्ते अपनी रणनीति में सफल रहे तथा गाँव में राज करते रहे !
बब्बर शेर यह सब खामोश होकर नदी के दूसरे तट से देखता रहा किन्तु शेर ने हिम्मत नहीं हारी वह जानता था कि सारे कुत्ते संघठित होकर उसे डराने का प्रयास कर रहे हैं इसलिए उसने जोश-खरोश में न आकर सुनहरे अवसर के इंतज़ार में नदी के इस ओर छलांग लगाने का विचार नहीं बनाया तथा वहीं बैठकर उस घड़ी का इंतज़ार करने लगा जब इन लालची व भ्रष्ट कुत्तों को सबक सिखा सके ! समय गुजरने लगा कुत्ते मौज-मजे मारते रहे तथा शेर इंतज़ार करता रहा, फिर अचानक शेर को एक "खुंखार शेर" नजर आया जिसे उसने सारा किस्सा सुनाया, किस्सा सुनकर दोनों ने मिलकर संघठित होकर कुत्तों को सबक सिखाने की योजना बनाई, योजना के अनुसार जब सारे कुत्ते नदी के दूसरे तट पर इकट्ठा होकर डराने आते तब एक शेर नदी के तट पर बैठा रहता तथा दूसरे "खुंखार शेर" ने गाँव में घुसकर चुपके-चुपके एक-एक, दो-दो, कुत्तों को मारना और मार कर वहीं फेंक कर आ जाना शुरू किया, यह सिलसिला देख देख कर कुत्ते घवराये तथा यह सोचने पर मजबूर हुए कि - इस समस्या का जल्द हल निकाला जाए यदि हल नहीं निकाला गया तो एक-एक कर सब के सब मारे जायेंगे, फिर सभी कुत्तों ने निर्णय अनुसार, नदी के तट पर जाकर शेर के सामने अपनी-अपनी दुम दबा कर माफी माँगी तथा उसे उसका राज-पाट सौंप दिया तथा खुद नौकर-चाकर की तरह अपना अपना काम करने लगे !!
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