Saturday, August 6, 2011

बेचैनी

सच ! मन नहीं लगता
जब
मन उदास होता है
एक अजीब-सी बेचैनी होती है
सांथ सांथ !
हर घड़ी, हर पल
सन्नाटा-सा छाया होता है
हमारे आस-पास
हम चाहते हैं, बार बार चाहते हैं
दूर हो बेचैनी, हमसे !
पर
हर प्रयास की तरह
नया प्रयास भी
असफल-सा होता है
हम घिरे होते हैं, घिर चुके होते हैं
बेचैनी से !
वक्त के संग लड़ रहे होते हैं
जी रहे होते हैं
हम
पल-पल उम्मीदों के सांथ !
न चाहकर, न चाहते हुए
हर घड़ी, हर पल, बेचैनी में !!