प्रधानमंत्री जी ...
आप बहुत अच्छे हैं, और सच्चे भी हैं
आप ... आपकी इमानदारी पर ... किसी को
कोई ... संदेह नहीं है ... ऐसा ... मैं अक्सर सुनता हूँ
पर जानता नहीं, आप ईमानदार हैं भी, या नहीं
शायद इसलिए, कभी जानने का मौक़ा नहीं मिला
जब, लोग कहते हैं, तो होंगे ही ... पर मैं ...
आँख मूँद कर ... आपको ईमानदार ... नहीं मान सकता
ये सच्चाई भी है, आप भी जानते हैं कि -
आँख मूँद कर, किसी को ईमानदार ... मान लेना !
खैर छोडो ... जाने देते हैं
असल मुद्दे पर ... हम आ ही जाते हैं
बात दर-असल यह है कि -
जन लोकपाल ... जिस पर राजनैतिक हलकों में
काफी गर्मा-गर्मी है, आमजन में भी एक आशा की लहर है
जन लोकपाल, न सिर्फ, आज के आमजन के लिए
वरन ... कल के आमजनों के लिए ... भी हितकर होगा
ज़रा सोचिये ... गौर करिए ...
आप भी लोकतंत्र में ... एक आमजन ही हैं ... भले आज
आप ... सत्ता में बैठे हैं ... प्रधानमंत्री हैं !
मैं सोच रहा हूँ, शायद ! आज आपको
जन लोकपाल की जरुरत न हो
क्यों, क्योंकि आज आप प्रधानमंत्री हैं !
पर ज़रा सोचिये ... गंभीरता पूर्वक, कि -
कल जब आप प्रधानमंत्री नहीं होंगे, और न ही
आपके परिवार में, कोई बड़ा अफसर होगा
तब ... कहीं ... इसी लोकतंत्र में
आपके ... बेटा-बेटी ... नाती-पोतों ... या अन्य रिश्तेदारों को
भ्रष्टाचार, दुराचार, कुशासन, और ...
का सामना करना पडा, या चपेट में आ गए
तब, उनकी आत्मा कितनी कल्लाएगी-झल्लाएगी
कहीं ... तब ... वे ... आपको कोसने न लगें
इस बात को लेकर कि -
काश, आपने लोकपाल का गठन कर दिया होता !
सोचिये ... गंभीरता पूर्वक सोचिये
मजबूत लोकपाल का गठन ... लोकतंत्र की जरुरत है !!
आप बहुत अच्छे हैं, और सच्चे भी हैं
आप ... आपकी इमानदारी पर ... किसी को
कोई ... संदेह नहीं है ... ऐसा ... मैं अक्सर सुनता हूँ
पर जानता नहीं, आप ईमानदार हैं भी, या नहीं
शायद इसलिए, कभी जानने का मौक़ा नहीं मिला
जब, लोग कहते हैं, तो होंगे ही ... पर मैं ...
आँख मूँद कर ... आपको ईमानदार ... नहीं मान सकता
ये सच्चाई भी है, आप भी जानते हैं कि -
आँख मूँद कर, किसी को ईमानदार ... मान लेना !
खैर छोडो ... जाने देते हैं
असल मुद्दे पर ... हम आ ही जाते हैं
बात दर-असल यह है कि -
जन लोकपाल ... जिस पर राजनैतिक हलकों में
काफी गर्मा-गर्मी है, आमजन में भी एक आशा की लहर है
जन लोकपाल, न सिर्फ, आज के आमजन के लिए
वरन ... कल के आमजनों के लिए ... भी हितकर होगा
ज़रा सोचिये ... गौर करिए ...
आप भी लोकतंत्र में ... एक आमजन ही हैं ... भले आज
आप ... सत्ता में बैठे हैं ... प्रधानमंत्री हैं !
मैं सोच रहा हूँ, शायद ! आज आपको
जन लोकपाल की जरुरत न हो
क्यों, क्योंकि आज आप प्रधानमंत्री हैं !
पर ज़रा सोचिये ... गंभीरता पूर्वक, कि -
कल जब आप प्रधानमंत्री नहीं होंगे, और न ही
आपके परिवार में, कोई बड़ा अफसर होगा
तब ... कहीं ... इसी लोकतंत्र में
आपके ... बेटा-बेटी ... नाती-पोतों ... या अन्य रिश्तेदारों को
भ्रष्टाचार, दुराचार, कुशासन, और ...
का सामना करना पडा, या चपेट में आ गए
तब, उनकी आत्मा कितनी कल्लाएगी-झल्लाएगी
कहीं ... तब ... वे ... आपको कोसने न लगें
इस बात को लेकर कि -
काश, आपने लोकपाल का गठन कर दिया होता !
सोचिये ... गंभीरता पूर्वक सोचिये
मजबूत लोकपाल का गठन ... लोकतंत्र की जरुरत है !!
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