देश का आमजन
भ्रष्टाचार से हलाकान है
क्या यही गांधी का
आजाद हिन्दोस्तान है !
सड़ रहे अनाज के बोरे
भूख से जाग रहा इंसान है
क्या यही गांधी का
आजाद हिन्दोस्तान है !
कालाधन भरा पडा है
कर्ज में डूबा आम इंसान है
क्या यही गांधी का
आजाद हिन्दोस्तान है !
बूढ़े लड़ते खड़े हुए हैं
युवा सत्ता में आसीन हैं
क्या यही गांधी का
आजाद हिन्दोस्तान है !
लुटेरे संसद में बैठें
अपराधियों की शान है
क्या यही गांधी का
आजाद हिन्दोस्तान है !
तीनों-चारों बंदरों में
एक-दूजे का सम्मान है
क्या यही गांधी का
आजाद हिन्दोस्तान है !!
भ्रष्टाचार से हलाकान है
क्या यही गांधी का
आजाद हिन्दोस्तान है !
सड़ रहे अनाज के बोरे
भूख से जाग रहा इंसान है
क्या यही गांधी का
आजाद हिन्दोस्तान है !
कालाधन भरा पडा है
कर्ज में डूबा आम इंसान है
क्या यही गांधी का
आजाद हिन्दोस्तान है !
बूढ़े लड़ते खड़े हुए हैं
युवा सत्ता में आसीन हैं
क्या यही गांधी का
आजाद हिन्दोस्तान है !
लुटेरे संसद में बैठें
अपराधियों की शान है
क्या यही गांधी का
आजाद हिन्दोस्तान है !
तीनों-चारों बंदरों में
एक-दूजे का सम्मान है
क्या यही गांधी का
आजाद हिन्दोस्तान है !!
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