Tuesday, March 29, 2011

गुनगुने !!

बात बिगड़ते देख वो
मस्तमौला हो लिए
तैश सी बातें सुने जब
डगमग डगमग हो लिए
ना ठंडे, ना गरम
सम्‍बन्‍ध गुनगुने कर लिए !
कौन ठिठुरता ठण्ड में
या झुलसता धूप में
न इधर, न उधर
पकड़ी एक नई डगर

बीच के रस्ते सुहाने
जानकर और मानकर
नेता, अफसर, पत्रकार
गुनगुने, गुनगुने से हो लिए !!

1 comment:

Padm Singh said...

मध्यम मार्ग सर्वोत्तम....:)