Wednesday, November 2, 2011

खुदगर्जी सर-आँखों पे है !

फेसबुक भी, मतलबियों की बस्ती है 'उदय'
सच ! बहुत अपनी वाल से बाहर नहीं आते !
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जूते उठाने के हुनर ने उसे मंत्री बना दिया
अब उसे जन भावनाओं की परवा नहीं है !
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कम से कम आज तो नसीबों की बातें न हों
सुनते हैं, पत्थर भी पूजे गए हैं !
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कुछ लोग लिखते तो बहुत धांसू हैं
अफ़सोस ! छपते नहीं हैं !!
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आज उसे रंज हुआ है, मुझसे बिछड़ कर
सच ! कल तक तो वो बड़े घमंड में थे !!
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मैंने उनके नाम, ढेरों पैगाम लिख छोड़े थे
उन्हें फुर्सत कहाँ थी, जो उन्हें पढ़ भी लेते !
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सच ! कमबख्त ये क्या मुहब्बत है
वो होती तो है, पर होती नहीं है !!!
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जी तो चाहता था, मुहब्बत कर लें हम
पर, उनकी हाँ पर भी हम खामोश रहे !
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जिन पे फना होने को, हम आतुर हुए थे
कहाँ थी खबर कि वो भी हम पे फना हैं !
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उम्मीद तो नहीं थी 'उदय' वफ़ा की
वजह कुछ तो होगी, आशिकी की !
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हम तो नहीं थे उनके, फिर भी उनको यकीं था हम पर
न जाने क्या बात थी, जो उनके जेहन में थी !!!
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जी तो चाहता है कि फना हो जाऊँ
पर सोचे फिरे हूँ किस पर होऊँ !
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मैं उनका नहीं हूँ, ये तो खबर है मुझको
क्या उनको खबर है कि वो मेरे नहीं हैं !
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न तो उसका था, और न ही खुदी का था
जिसने दिल से चाहा, मैं तो उसी का था !
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सच ! कोई कहता भी रहे, मुझे तुमसे मुहब्बत है
मत करना यकीं, जब तक खुद पे एतबार न हो !
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बहुत मुश्किल से सम्भाला है खुद को
कैसे कह दूं, मोहब्बत नहीं है तुम से !
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गरीबी, लाचारी, बेचारी, और जवां खुबसूरती
क्या कहने, अब कोई धर्म-कर्म की बातें न करे !
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तीन मरे, पांच मरे, हेडलाइंस बन गई है 'उदय'
उफ़ ! आज मौत की खबरें, सुर्ख़ियों में हैं !
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क्या गजब रंगरेज हुआ है नेता हमारा
उफ़ ! सुबह-शाम खुदी को रंगता दिखे है !
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जरूरतें, जरूरतों को जन्म दे रही हैं
उफ़ ! खुदगर्जी सर-आँखों पे है !!

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