Wednesday, May 25, 2011

... बाबू जी !

बाबू जी
सारा गाँव, उन्हें
बाबू जी ... बाबू जी
पुकारता था
बूढ़े-बच्चे, आदमी-औरत
छोटे-बड़े, अमीर-गरीब
सब के सब
उनके, गाँव आने पर झूम उठते थे
चहेते थे, माननीय थे, पूज्यनीय थे
बस स्टैंड से घर पहुंचते-पहुंचते
घंटे - डेढ़ घंटे लग जाता था
सब से दुआ-सलाम, मेल-मुलाक़ात
हाल-चाल पूंछते, जानते, ... आगे बढ़ते थे
बच्चों को, खाने-पीने की चीजें
बाँटते-बाँटते चलते थे
कुछ पल, कुछ घड़ी को, उनके इर्द-गिर्द
मेला-सा लग जाता था
यह मंजर उनके आने पर
और ठीक इसी तरह का आलम ... उनके जाने पर
हुआ करता था, पर ... अब गाँव
सूना सूना-सा रहेगा
क्यों, क्योंकि, अब ... बाबू जी नहीं रहे
कहते हैं, सुनते हैं
अब ... बाबू जी का ... स्वर्ग में वास हो गया है !!

3 comments:

संजय भास्‍कर said...

पिताजी को हार्दिक श्रद्धांजलि !!

ANJAAN said...

बाबू जी को श्रद्धांजलि !!

http://www.anjaan45.blogspot.com/

BrijmohanShrivastava said...

पुराने आदमी एसे ही होते थे भाई